tag:blogger.com,1999:blog-3430383595992148716.post172538548018889016..comments2024-03-19T20:10:08.056+05:30Comments on ओशो गंगा/ Osho Ganga: गीता दर्शन--(भाग--4) प्रवचन--108oshoganga-ओशो गंगाhttp://www.blogger.com/profile/06416428388577433201noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-3430383595992148716.post-33716779184739726772023-12-15T20:31:35.022+05:302023-12-15T20:31:35.022+05:30THANK YOU GURUJITHANK YOU GURUJI05021991https://www.blogger.com/profile/16815819360697416055noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3430383595992148716.post-87664792600829443322023-08-02T16:46:42.496+05:302023-08-02T16:46:42.496+05:30परमात्मा,प्रभु,ईश्वर से हमारी मांग,इच्छा,वासना से ...परमात्मा,प्रभु,ईश्वर से हमारी मांग,इच्छा,वासना से हम किस तरह मुक्त हों सकते हैं उसका ह्रदयगंम निराकरण दिया हैं ❤️❤️❤️हम लेकिन कहाँ अक्सर ह्रदय से जीते हैं या ह्रदय की बात सुनते हैं | मन अक्सर बीच में दाखिल हों ही जाता हैं और उसकी सत्ता ऐसे निर्मल,सरल,.. भावों से मानों ध्वंसत हों रही हों इसी तरह मन अनेक विकल्पों-प्रविकल्पों का ताना बुनकर ह्रदय के निर्मल,सरल,पवित्र भावों को कैद करने अक्सर सफल हों जाते हैं लेकिन ध्यान की गहरी कटार से ही मन की नित-नयी चाल को भेद सकते हैं | ओं मेरे प्यारे ओशो ! आप को शत कोटी-कोटी प्रणाम |❤️🙏🙏🙏❤️raginidavehttps://www.blogger.com/profile/13483177543504950554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3430383595992148716.post-75742661102975208702023-08-02T16:41:17.113+05:302023-08-02T16:41:17.113+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.raginidavehttps://www.blogger.com/profile/13483177543504950554noreply@blogger.com