ओशो गंगा/ Osho Ganga
मंगलवार, 31 जुलाई 2012

विज्ञान भैरव तंत्र विधि—53 (ओशो)

›
आत्‍म-स्‍मरण की पहली विधि--       ‘’हे कमलाक्षी, हे, सुभगे, गाते हुए, देखते हुए, स्‍वाद लेते हुए यह बोध बना रहे कि मैं हूं, और शाश्‍वत...
1 टिप्पणी:
रविवार, 29 जुलाई 2012

तंत्र सूत्र--विधि -52 (ओशो)

›
पांचवी तंत्र विधि--      ‘’भोजन करते हुए या पानी पीते हुए भोजन या पानी का स्‍वाद ही बन जाओ, और उससे भर जाओ।‘’             हम खाते रह...
शुक्रवार, 27 जुलाई 2012

तंत्र सूत्र--विधि -51 (ओशो)

›
काम संबंधि चौथा सूत्र--       ‘’ बहुत समय बाद किसी मित्र से मिलने पर जो हर्ष होता है, उस हर्ष में लीन होओ।‘’       उस हर्ष में प्रवे...
मंगलवार, 24 जुलाई 2012

तंत्र सूत्र--विधि -50 (ओशो)

›
काम संबंधि तीसरा सूत्र--                ‘’काम-आलिंगन के बिना ऐसे मिलन का स्‍मरण करके भी रूपांतरण होगा।‘’        एक बार तुम इसे जान...
2 टिप्‍पणियां:
रविवार, 22 जुलाई 2012

तंत्र सूत्र--विधि -49 (ओशो)

›
काम संबंधि दूसरा सूत्र-- ‘’ऐसे काम-आलिंगन में जब तुम्‍हारी इंद्रियाँ पत्‍तों की भांति कांपने लगें उस कंपन में प्रवेश करो ।‘’    ...
शनिवार, 21 जुलाई 2012

तंत्र सूत्र--विधि -48 (ओशो)

›
काम संबंधि पहला सूत्र--        ‘’काम-आलिंगन में आरंभ में उसकी आरंभिक अग्‍नि पर अवधान दो, और ऐसा करते हुए अंत में उसके अंगारे से बच...
1 टिप्पणी:
बुधवार, 18 जुलाई 2012

तंत्र-सूत्र—विधि—47 (ओशो)

›
ध्‍वनि-संबंधी अंतिम विधि:             ‘’अपने नाम की ध्‍वनि में प्रवेश करो, और उस ध्‍वनि के द्वारा सभी ध्‍वनियों में।‘’      मंत्र ...
2 टिप्‍पणियां:
रविवार, 15 जुलाई 2012

तंत्र-सूत्र—विधि—46 (ओशो)

›
  ध्‍वनि-संबंधी दसवीं विधि: ‘’कानों को दबाकर और गुदा को सिकोड़कर बंद करो, और ध्‍वनि में प्रवेश करो।‘’       हम अपने शरीर से भी पर...
शनिवार, 14 जुलाई 2012

मिस्‍टर एकहार्ट-रहस्‍य सूत्र—(057)

›
मिस्‍टर एकहार्ट के रहस्‍य सूत्र—(ओशो की प्रिय पुस्तकें) एक हार्ट बहुत करीब था। एक कदम और, और संसार का अंत आ जाता—उस पार का लोक खुल जात।...

ओशो) आपको गोली क्‍यों न मार दी जाए?

›
  ‘’ 28 अगस्‍त 1968 को जो क्रांति–स्‍वर उठाया था, उसका अलगा चरण प्रारंभ हुआ 28 सितंबर से। ऐतिहासिक गोवालिया टैंक मैदान में, जहां गांधी जी...
1 टिप्पणी:
मंगलवार, 10 जुलाई 2012

तंत्र-सूत्र—विधि—45 (ओशो)

›
ध्‍वनि-संबंधी नौवीं विधि:             ‘’अ: से अंत होने वाले किसी शब्‍द का उच्‍चार चुपचाप करो। और तब हकार में अनायास सहजता को उपलब्‍ध हो...
रविवार, 8 जुलाई 2012

तंत्र-सूत्र—विधि—44 (ओशो)

›
  ध्‍वनि-संबंधी आठवीं विधि:               ‘’अ और म के बिना ओम ध्‍वनि पर मन को एकाग्र करो।‘’        ओम ध्‍वनि पर एकाग्र करो; लेकिन इ...
1 टिप्पणी:
शनिवार, 7 जुलाई 2012

तंत्र-सूत्र—विधि—43 (ओशो)

›
    ध्‍वनि-संबंधी सातवीं विधि:             ‘’मुंह को थोड़ा-सा खुला रखते हुए मन को जीभ के बीच में स्‍थिर करो। अथवा जब श्‍वास चुपचाप भी...
शुक्रवार, 6 जुलाई 2012

तंत्र-सूत्र—विधि—42 (ओशो)

›
ध्‍वनि-संबंधी छठवीं विधि:           ‘’किसी ध्‍वनि का उच्‍चार ऐसे करो कि वह सुनाई दे; फिर उस उच्‍चार को मंद से मंदतर किए जाओ—जैसे-जैसे...
गुरुवार, 5 जुलाई 2012

तंत्र-सूत्र—विधि—41 (ओशो)

›
  ध्‍वनि-संबंधी पाँचवीं विधि:       ‘’तार वाले वाद्यों को सुनते हुए उनकी संयुक्‍त केंद्रित ध्‍वनि को सुनो; इस प्रकार सर्वव्‍यापकता को...
बुधवार, 4 जुलाई 2012

तंत्र-सूत्र—विधि—40 (ओशो)

›
  ध्‍वनि-संबंधी चौथी विधि:            ‘’किसी भी अक्षर के उच्‍चारण के आरंभ में और उसके क्रमिक परिष्‍कार में, निर्ध्‍वनि में जागों।‘’ ...
मंगलवार, 3 जुलाई 2012

तंत्र-सूत्र—विधि—39 (ओशो)

›
       ध्‍वनि-संबंधी तीसरी विधि:            ‘’ओम जैसी किसी ध्‍वनि का मंद-मंद उच्‍चरण करो। जैस-जैसे ध्‍वनि पूर्णध्‍वनि में प्रवेश करती...
सोमवार, 2 जुलाई 2012

तंत्र-सूत्र—विधि—38 (ओशो)

›
ध्‍वनि-संबंधी दूसरी विधि:            ध्‍वनि के केंद्र में स्‍नान करो, मानो किसी जलप्रपात की अखंड ध्‍वनि में स्‍नान कर रहे हो। या कान...
रविवार, 1 जुलाई 2012

क्यों सत्रह साल बाद दाढ़ी-बाल कटवायें?—(स्‍वामी आनंद प्रसाद)

›
1989 में ओशो से जुड़ने के बाद से ही मुझे लगने लगा कि दाढ़ी-बाल ध्‍यान में विशेष रूप से सहयोगी हो रहा है। जैसे-जैसे आप गहरे जा रहे है, ये ...
1 टिप्पणी:
शनिवार, 30 जून 2012

तंत्र-सूत्र—विधि—37 (ओशो)

›
  ध्‍वनि-संबंधी पहली विधि:       ‘’हे देवी, बोध के मधु-भरे दृष्‍टि पथ में संस्‍कृत वर्णमाला के अक्षरों की कल्‍पना करो—पहले अक्षरों की भ...
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें

ध्यान है, आप उस में कुद गये तो एक नदी की तरह आप रूक नहीं सकते। जन्मों की साधना का फल ह

मेरी फ़ोटो
oshoganga-ओशो गंगा
जीवन अपने में एक रहस्य छुपए चल रहा हे, हम एक मुसाफिर मात्र है, क्या और किस लिए मन में एक ज्ञिज्ञाषा लिए चल रहे है इस सफर पर परंतु ओशो के प्रकाश के कारण एक किरण ने मार्ग पर कुछ प्रकाश बिखेरा है...भाग्य हमारा की ओशो ने अपने मार्ग पर चलने के लिए हमें चूना....वरना हम तो आंखों के बिना भी बस अंधेरे में टटोलते ही रह जातेेेेेेेे.... ओशो प्यारे दिल में समा रे नयनों में बस जा रे। मनसा-मोहनी दसघरा
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
Blogger द्वारा संचालित.