ओशो गंगा/ Osho Ganga
बुधवार, 30 अगस्त 2017

देख कबीरा रोया-(राष्ट्रीय ओर सामाजिक)—प्रवचन-21

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देख कबीरा रोया-(राष्ट्रीय ओर सामाजिक)—ओशो इक्कीसवां प्रवचन , गांधीवादी कहां हैं ? मेरे प्रिय आत्मन्! मैं निरंतर सोचता रहा , व...

देख कबीरा रोया-(राष्ट्रीय ओर सामाजिक)—प्रवचन-20

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देख कबीरा रोया-(राष्ट्रीय ओर सामाजिक)—ओशो बीसवां प्रवचन वैज्ञानिक विकास और बदलते जीवन-मूल्य प्रश्न: इस औद्योगिक युग में आत्म-अभ...
मंगलवार, 29 अगस्त 2017

देख कबीरा रोया-(राष्ट्रीय ओर सामाजिक)—प्रवचन-19

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देख कबीरा रोया -(राष्ट्रीय ओर सामाजिक)—ओशो उन्नीसवां प्रवचन परस्पर-निर्भरता और विश्व नागरिकता नॉन-प्राडक्टिव वेल्थ के लिए हम टै...

देख कबीरा रोया-(राष्ट्रीय ओर सामाजिक)—प्रवचन-18

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देख कबीरा रोया -(राष्ट्रीय ओर सामाजिक)—ओशो अठारहवां प्रवचन प्रेम-विवाह: जातिवाद का अंत हमारे यहां चूंकि जातिवाद का राजकरण है-...
सोमवार, 28 अगस्त 2017

देख कबीरा रोया-(राष्ट्रीय ओर सामाजिक)—प्रवचन-17

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देख कबीरा रोया-(राष्ट्रीय ओर सामाजिक)—ओशो सत्रहवां प्रवचन असली अपराधी: राजनीतिज्ञ आज तक आपने जो किया है , उसका मिशन क्या-क्या ह...

देख कबीरा रोया-(राष्ट्रीय ओर सामाजिक)—प्रवचन-16

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देख कबीरा रोया-(राष्ट्रीय ओर सामाजिक)—ओशो सोलहवां प्रवचन विध्वंस: सृजन का प्रारंभ यह सवाल नहीं है। पहली बात तो यह कि मैं निपट ए...
रविवार, 20 अगस्त 2017

देख कबीरा रोया-(राष्ट्रीय ओर सामाजिक)—प्रवचन-15

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  देख कबीरा रोया-(राष्ट्रीय ओर सामाजिक)—ओशो पंद्रहवां प्रवचन भौतिक समृद्धि अध्यात्म का आधार जो ठीक है और सच है वह मुझे कहना ही ...
शनिवार, 19 अगस्त 2017

देख कबीरा रोया-(राष्ट्रीय ओर सामाजिक)—प्रवचन-14

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देख कबीरा रोया -(राष्ट्रीय ओर सामाजिक)—ओशो चौदहवां प्रवचन पूंजीवाद का दर्शन इस वक्त तकलीफ यह है कि समाजवादी तो कह रहा है , और प...

देख कबीरा रोया-(राष्ट्रीय ओर सामाजिक)—प्रवचन-13

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देख कबीरा रोया -(राष्ट्रीय ओर सामाजिक)—ओशो तेरहवां प्रवचन समाजवाद: पूंजीवाद का विकास ( प्रश्न का ध्वनि-मुद्रण स्पष्ट नहीं।) ...
बुधवार, 16 अगस्त 2017

देख कबीरा रोया-(राष्ट्रीय ओर सामाजिक)—प्रवचन-12

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देख कबीरा रोया -(राष्ट्रीय ओर सामाजिक)—ओशो बारहवां प्रवचन समाजवाद का पहला कदम: पूंजीवाद जैसे ही समाज में सुविधा बढ़ती है , सुख ब...
मंगलवार, 15 अगस्त 2017

देख कबीरा रोया-(राष्ट्रीय ओर सामाजिक)—प्रवचन-11

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देख कबीरा रोया -(राष्ट्रीय ओर सामाजिक)—ओशो ग्यारहवां प्रवचन गांधीवाद ही नहीं , वाद मात्र के विरोध में हूं आपके प्रवचनों से जो स...

देख कबीरा रोया-(राष्ट्रीय ओर सामाजिक)—प्रवचन-10

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देख कबीरा रोया -(राष्ट्रीय ओर सामाजिक)—ओशो दसवां प्रवचन मेरी दृष्टि में रचनात्मक क्या है ? मेरे प्रिय आत्मन्! बहुत से प्रश्न ...
रविवार, 13 अगस्त 2017

देख कबीरा रोया-(राष्ट्रीय ओर सामाजिक)—प्रवचन-09

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देख कबीरा रोया -(राष्ट्रीय ओर सामाजिक)—ओशो नौवां प्रवचन गांधी का चिंतन अवैज्ञानिक है ... व्यवहार करते हैं। ये दोनों तरकीबें हैं...
शनिवार, 12 अगस्त 2017

देख कबीरा रोया-(राष्ट्रीय ओर सामाजिक)—प्रवचन-06

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देख कबीरा रोया -(राष्ट्रीय ओर सामाजिक)—ओशो छठवां-प्रवचन तोड़ने का एक और उपक्रम मेरे प्रिय आत्मन्! मित्रों ने बहुत से प्रश्न से...

देख कबीरा रोया-(राष्ट्रीय ओर सामाजिक)—प्रवचन-05

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देख कबीरा रोया -(राष्ट्रीय ओर सामाजिक)—ओशो पांचवां-प्रवचन अतीत के मरघट से मुक्ति मेरे प्रिय आत्मन्! आज ही एक पत्र में मुझे स्...

देख कबीरा रोया-(राष्ट्रीय ओर सामाजिक)—प्रवचन-04

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देख कबीरा रोया-(राष्ट्रीय ओर सामाजिक)—ओशो चौथा-प्रवचन लकीरों से हट कर मित्रों ने बहुत से प्रश्न पूछे हैं। एक मित्र ने पूछा है क...
शुक्रवार, 11 अगस्त 2017

देख कबीरा रोया-(राष्ट्रीय ओर सामाजिक)—प्रवचन-03

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देख कबीरा रोया-(राष्ट्रीय ओर सामाजिक)—ओशो तीसरा प्रवचन एक और असहमति मेरे प्रिय आत्मन्! मैं कोई राजनीतिज्ञ नहीं हूं और न ही मै...

देख कबीरा रोया-(राष्ट्रीय ओर सामाजिक)—प्रवचन-02

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देख कबीरा रोया-(राष्ट्रीय ओर सामाजिक)—ओशो दूसरा प्रवचन संचेतना के ठोस आयाम कुछ मित्रों ने कहा है कि गांधीजी यंत्र के विरोध में ...
2 टिप्‍पणियां:
गुरुवार, 10 अगस्त 2017

देख कबीरा रोया-(राष्ट्रीय ओर सामाजिक)—प्रवचन-01

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देख कबीरा रोया-(राष्ट्रीय ओर सामाजिक)—ओशो पहला प्रवचन एक मृत महापुरुष का जन्म मेरे प्रिय आत्मन्! वेटिकन पोप अमेरिका गया हुआ था...
बुधवार, 9 अगस्त 2017

उत्सव आमार जाति आनंद आमार गोत्र-(प्रश्नोंत्तर)-प्रवचन-10

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उत्सव आमार जाति आनंद आमार गोत्र-(प्रश्नोंत्तर)-ओशो सावन आया अब के सजन - (प्रवचन-दसवां) दिनांक 1 0 जनवरी सन् 1979 ओशो आश्रम पूना। ...
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ध्यान है, आप उस में कुद गये तो एक नदी की तरह आप रूक नहीं सकते। जन्मों की साधना का फल ह

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oshoganga-ओशो गंगा
जीवन अपने में एक रहस्य छुपए चल रहा हे, हम एक मुसाफिर मात्र है, क्या और किस लिए मन में एक ज्ञिज्ञाषा लिए चल रहे है इस सफर पर परंतु ओशो के प्रकाश के कारण एक किरण ने मार्ग पर कुछ प्रकाश बिखेरा है...भाग्य हमारा की ओशो ने अपने मार्ग पर चलने के लिए हमें चूना....वरना हम तो आंखों के बिना भी बस अंधेरे में टटोलते ही रह जातेेेेेेेे.... ओशो प्यारे दिल में समा रे नयनों में बस जा रे। मनसा-मोहनी दसघरा
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