आनंद से जीओ--
मेरा संदेश छोटा सा है, आनंद से जीओ।
और जीवन के समस्त रंग को जीओ,
सारे स्वरों को जाओ।
कुछ भी निषेध नहीं करना है।
जो भी परमात्मा का है, शुभ है।
जो भी उसने दिया है, अर्थपूर्ण है।
उसमें से किसी भी चीज का इनकार करना,
परमात्मा को ही इनकार करना है, नास्तिकता है।
और तब एक अपूर्व क्रांति घटती है। जब तुम सबको स्वीकार कर लेते है।
और आनंद से जीने लगते है,
तुम्हारे भीतर रूपांतरण की प्रक्रिया शुरू होती है।
तुम्हारे भीतर की रसायन बदलती है—क्रोध करूणा बन जाता है।
काम राम बन जाता है।
तुम्हारे भीतर कांटे फूलों कि तरह खिलने लगते
style jaroori hai
जवाब देंहटाएंcalories aur socalled parmatama ke saath.
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