ओशो गंगा/ Osho Ganga
शुक्रवार, 26 नवंबर 2010

बौद्ध भिक्षु और वेश्‍या–( कथा यात्रा-009)

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 बोध भिक्षु ओर वैश्या-(एस धम्मो सनंतनो)      एक बार एक बौद्ध भिक्षु एक गांव से गुजर रहा था। चार कदम चलने के बाद वह ठिठका। क्‍योंकि भगवान...
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बुधवार, 24 नवंबर 2010

राहुल पर मार का हमला—(कथा यात्रा-008)

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राहुल पर मार का हमला-(एस धम्मो सनंनतो) राहुल गौतम बुद्ध का बेटा था। राहुल के संबंध में थोड़ा जान लें। फिर इस दृश्‍य को समझना आसान हो जायेग...
मंगलवार, 23 नवंबर 2010

मैं द्वार बनूं—दीवार न बनूं--

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मैं तुम्‍हें अपने पर नहीं रोकना चाहता। मैं तुम्‍हारे लिए द्वार बनूं , दीवार न बनूं। तुम मुझसे प्रवेश करो , मुझ पर मत रुको। तुम मुझसे छलां...
रविवार, 21 नवंबर 2010

भगवान बुद्ध और यशोधरा--कथा यत्रा

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 भगवान बुद्ध ओर यशोधरा- गौतम बुद्ध ज्ञान को उपलब्‍ध होने के बाद घर वापस लौटे। बारह साल बाद वापस लौटे। जिस दिन घर छोड़ा था , उनका बच्‍चा ...

संभोग से समाधि की और—24

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युवक और यौन—       एक कहानी से मैं अपनी बात शुरू करना चाहूंगा।        एक बहुत अद्भुत व्‍यक्‍ति हुआ है। उस व्‍यक्‍ति का नाम था नसीरुद्दीन एक ...
शुक्रवार, 19 नवंबर 2010

भगवान बुद्ध और ज्‍योतिषी— ( कथा यात्रा )

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एक गर्म दोपहरी थी। भगवान बुद्ध नदी किनारे चले जा रहे थे।  नंगे पाव होने के कारण ठंडी बालु रेत का सहारा ले पैरों को ठंडा कर लेते थे। आस पास क...
शनिवार, 13 नवंबर 2010

संभोग से समाधि की और—23

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यौन : जीवन का ऊर्जा-आयाम–6      इस लिए मैं तंत्र के पक्ष में हूं , त्‍याग के पक्ष में नहीं हूं। और मेरा मानना है जब तक   धर्म दुनिया स...
गुरुवार, 11 नवंबर 2010

संभोग से समाधि की और—22

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यौन : जीवन का ऊर्जा-आयाम–6       धर्म के दो रूप है। जैसा सभी चीजों के होत है। एक स्‍वस्‍थ और एक अस्‍वस्‍थ।        स्‍वस्‍थ धर्म जो जीवन ...

संभोग से समाधि की और—21

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समाधि : संभोग-उर्जा का अध्‍यात्‍मिक नियोजन—5       एक मित्र ने पूछा है कि अगर इस भांति सेक्‍स विदा हो जायगा तो दुनिया में संतति का क्‍या हो...
मंगलवार, 9 नवंबर 2010

संभोग से समाधि की और—20

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समाधि : संभोग-उर्जा का अध्‍यात्‍मिक नियोजन—5      यहां से मैं भारतीय विद्या भवन से बोल कर जबलपुर वापस लौटा और तीसरे दिन मुझे एक पत्र मिला क...
सोमवार, 8 नवंबर 2010

संभोग से समाधि की और—19

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समाधि : संभोग-उर्जा का अध्‍यात्‍मिक नियोजन—5        एक मित्र ने इस संबंध में और एक बात पूछी है। उन्‍होंने पूछा है कि आपको हम सेक्‍स पर क...
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रविवार, 7 नवंबर 2010

संभोग से समाधि की और—18

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समाधि : संभोग-उर्जा का अध्‍यात्‍मिक नियोजन—5        लेकिन मैं जिस सेक्‍स की बात कर रहा हूं , वह तीसरा तल है। वह न आज तक पूरब में पैदा...
शनिवार, 6 नवंबर 2010

संभोग से समाधि की और—17

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समाधि : संभोग-उर्जा का अध्‍यात्‍मिक नियोजन—5      मेरे प्रिय आत्‍मजन , मित्रों ने बहुत से प्रश्‍न पूछे है। सबसे पहले एक मित्र ने पूछा है ...
शुक्रवार, 5 नवंबर 2010

संभोग से समाधि की और-16

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समाधि : अहं-शून्‍यता समय शून्‍यता का अनुभव—4        और अब तो हम उस जगह पहुंच गये है कि शायद और पतन   की गुंजाइश नहीं है। करीब-करीब सारी ...
रविवार, 31 अक्टूबर 2010

संभोग से समाधि की और-15

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समाधि: अहं-शून्‍यता , समय शून्‍यता का अनुभव—4        लेकिन जो जानते है , वे यह कहेंगे , दो व्‍यक्‍ति अनिवार्यता: दो अलग-अलग व्‍यक्‍ति ...
शनिवार, 30 अक्टूबर 2010

संभोग से समाधि की और—14

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समाधि : अहं-शून्‍यता , समय शून्‍यता का अनुभव—4      एक बात , पहली बात स्‍पष्‍ट कर लेनी जरूरी है वह हय कि यह भ्रम छोड़ देना चाहिए कि हम...
शुक्रवार, 29 अक्टूबर 2010

संभोग से समाधि की और—13

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समाधि : अहं शून्‍यता , समय-शून्‍यता के अनुभव-4      मेरे प्रिया आत्‍मन , एक छोटा सा गांव था , उस गांव के स्‍कूल में शिक्षक राम की कथा पढ़...
सोमवार, 20 सितंबर 2010

संभोग से समाधि की ओर—12

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संभोग: समय शून्‍यता की झलक—4        जितना आदमी प्रेम पूर्ण होता है। उतनी तृप्‍ति , एक कंटेंटमेंट , एक गहरा संतोष , एक गहरा आनंद का भाव , ...

संभोग से समाधि की ओर—11

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संभोग : समय-शून्‍यता की झलक—3 मैत्री उस दिन शुरू होती है। जिस दिन वे एक दूसरे के साथी बनते है और उनके काम की ऊर्जा को रूपांतरण करने में माध...
शनिवार, 18 सितंबर 2010

संभोग से समाधि की ओर—10

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संभोग : समय-शून्‍यता की झलक—2       और इसलिए आदमी दस-पाँच वर्षों में युद्ध की प्रतीक्षा करने लगता है , दंगों की प्रतीक्षा करने लगता है। और ...
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ध्यान है, आप उस में कुद गये तो एक नदी की तरह आप रूक नहीं सकते। जन्मों की साधना का फल ह

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oshoganga-ओशो गंगा
जीवन अपने में एक रहस्य छुपए चल रहा हे, हम एक मुसाफिर मात्र है, क्या और किस लिए मन में एक ज्ञिज्ञाषा लिए चल रहे है इस सफर पर परंतु ओशो के प्रकाश के कारण एक किरण ने मार्ग पर कुछ प्रकाश बिखेरा है...भाग्य हमारा की ओशो ने अपने मार्ग पर चलने के लिए हमें चूना....वरना हम तो आंखों के बिना भी बस अंधेरे में टटोलते ही रह जातेेेेेेेे.... ओशो प्यारे दिल में समा रे नयनों में बस जा रे। मनसा-मोहनी दसघरा
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