पशु-पक्षियों की भीति जीने को नहीं कह रह हूँ।
मैं लोगों को जाग कर बुद्धों की भांति जीने को कह रहा हूँ।
इस मुक्ताचार को उसी अर्थ में , मुक्ताचार नहीं कहां जा सकता है।
जिस अर्थ में पश्चिम में एक समाज निर्मित हो रहा है।
यह मुक्ताचार मुक्तों का आचरण है।
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