वह परपजलेस,
बुधवार, 30 सितंबर 2009
अनुपयोगी का महत्व—
जीवन में जो भी महत्वपूर्ण है,
वह परपजलेस,प्रयोजन मुक्त है।
जीवन में जो भी महत्वपूर्ण है।
उसकी बाजार में कोई कीमत नहीं है।
प्रेम की कोई कीमत नहीं है,
आनंद की कोई कीमत नहीं है,
प्रार्थना की कोई कीमत नहीं है।
परमात्मा की कोई कीमत नहीं है।
न ध्यान की कोई कीमत है,
लेकिन जिस जिंदगी में कोई अनुपयोगी,
नॉन-यूटिलिटेरियन मार्ग नहीं होता।
उस जिंदगी में सितारों की चमक भी खो जाती है।
उस जिंदगी में फूलों की सुगंध भी खो जाती है।
उस जिंदगी में पक्षियों के गीत भी खो जाते है।
उस जिंदगी में नदियों की दौड़ती हुई गति भी खो जाती है।
उस जिंदगी में कुछ नहीं बचता, सिर्फ बाजार बचता है।
उस जिंदगी में काम के सिवाय कुछ भी नहीं बचता।
उस जिंदगी में तनाव और परेशानी,
चिंताओं के सिवाय कुछ नहीं बचता।
वह परपजलेस,
ओशो के इन विशद प्रासंगिक विचारों का आभार ।
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