बुधवार, 30 सितंबर 2009

गलत उसूलों में ढाला मनुष्य आचरण---


ऐसी मनुष्‍यता जमीन पर कभी नहीं थी।
लेकिन आज तक जो मनुष्‍य को अब तक गलत उसूलों पर ढाला गया है।
इसलिए समाज ऊँचा नहीं उठ पाया।
समाज ऊंचा उठेगा उसी दिन,
जिस दिन हम मनुष्‍य की सहजता को स्‍वीकार कर लगें,
सरलता को, उसके व्‍यक्तित्‍व में जो भी है।
उसको स्‍वीकार कर लेंगे, उसको समझेंगे,
उस पर मेडि़टेट करेंगे,
उस पर ध्‍यान को विकसित करेंगे।
दुनिया में संयम की नहीं, ध्‍यान की जरूरत है।
आदमी को कंट्रोल की नहीं, मेडि़‍टेशन की जरूरत है।
आदमी को जागना सिखाना है।
और अगर हम जागना सिखा सकें,
तो एक दूसरी मनुष्‍यता पैदा हो जाएगी, मनुष्‍यता है।
वह गलत सिद्धांतों के कारण गलत है।





4 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर विचार !!!!!!!!

    स्वागत है ।

    please remove word verification then it wiil be easy to comment. Thanks

    गुलमोहर का फूल

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  2. बहुत सुन्‍दर कार्य कर रहे हैं मनसा जी. हिन्‍दी फीड एग्रीटर में जुडने के लिए बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  3. बढिया है आपसे कुछ सीखने मिलेगा,ब्लॉग जगत में आपका स्वागत हैं, लेखन कार्य के लिए बधाई
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