ओशो
ने ईश्वरवादी
और ईश्वर-विरोधी
दोनों की
आंखें खोल दी
है। ईश्वर वादी
मंदिर में
जाकर प्रभु से
चूक गया और
ईश्वर
विरोधी
मंदिरों से
लड़कर चूक
गया। बात अजीब
है लेकिन यह
सत्य है। ओशो
ने हजार-हजार
स्थानों पर
ईश्वर को,
उसके अस्तित्व
को, उसकी
अधिसत्ता को
नकारा है।
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शुक्रवार, 8 मार्च 2013
गुरुवार, 7 मार्च 2013
हर चक्र की अपनी नींद—ओशो
सहस्त्रार
को छोड़ कर
प्रत्येक
चक्र की अपनी
नींद है।
सातवें चक्र
में बोध समग्र
होता है। यह
विशुद्ध
जागरण की अवस्था
है। इसीलिए कृष्ण
गीता में कहते
है कि योगी
सोता नहीं। ‘योगी’ का अर्थ है
जो अपने अंतिम
केंद्र पर
पहुंच गया।
अपनी परम
खिलावट पर जो
कमल की भांति
खिल गया। वह
कभी नहीं
सोता। उसका
शरीर सोता है।
मन सोता है।
वह कभी नहीं
सोता। बुद्ध
जब सो भी रहे
होते है तो
अंतस में कहीं
गहरे में
प्रकाश
आलोकित रहता
है। सातवें
चक्र में
निद्रा का कोई
स्थान नहीं
होता। बाकी छ:
चक्रों में
यिन और यैंग, शिव और शक्ति, दोनों है।
कभी वे जाग्रत
होते है और
कभी सुषुप्ति
में—उनके
दोनों पहलू
है।
बुधवार, 6 मार्च 2013
सोमदेव—टेनिस प्लेयर
सोमदेव--
भारत के सर्वाधिक वरियता प्राप्त और लोक प्रिय टेनिस प्लेयर हाल ही ओशो मेडिटेशन रिज़ार्ट आए थे। वे पुणे किसी काम के सिलसिले में आए हुए थे। तब उन्हें मेडिटेशन रिज़ार्ट आने का भाव हुआ क्योंकि सोमदेव ओशो की किताबें चाव से पढ़ते है। अब वे ओशो की ध्यान विधियों करके देखना चाहते थे। मेडिटेशन रिज़ार्ट के रमणीय वातास में सोमदेव बहुत प्रसन्न और प्रफुलित हुए।
भारत के सर्वाधिक वरियता प्राप्त और लोक प्रिय टेनिस प्लेयर हाल ही ओशो मेडिटेशन रिज़ार्ट आए थे। वे पुणे किसी काम के सिलसिले में आए हुए थे। तब उन्हें मेडिटेशन रिज़ार्ट आने का भाव हुआ क्योंकि सोमदेव ओशो की किताबें चाव से पढ़ते है। अब वे ओशो की ध्यान विधियों करके देखना चाहते थे। मेडिटेशन रिज़ार्ट के रमणीय वातास में सोमदेव बहुत प्रसन्न और प्रफुलित हुए।
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