अध्यात्मिक जगत और लिंगिये भेद-शायद आप को ये जानकर अति विषमय होगा, परंतु अध्यात्मिक जगत रहस्यों के साथ एक वैज्ञानिक भी है। खास कर हिंदु धर्म। हम चक्र और उसके रंग, सूर, ताल और उस चक्र की परिणति स्त्री है या पुरूष की इस पर बहुत बात कर चुके है परंतु चक्र और उसके लिंग के भेद की कम ही बात करते है। क्योंकि यह अति गूढ़ रहस्य है। जिसे हर व्यक्ति को जानना जरूरी नहीं है। इस लिए इसे गूढ़ रहस्य कहा जाता है। जो कोई व्यक्ति जब अध्यात्म जगत में प्रवेश करता है वह इस जाने तो सही है या उसे ही केवल इसे जानना चाहिए। क्योंकि संसार में इस लिंग भेद के कारण कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता।
पहला शरीर और लिंग विभाजन-
अगर हम गहरे से जाने तो मानव शरीर के हम तीन विभाजन कर सकते है। पहला विभाजन एक लिंगिये कहेंगे- पहले एक लिंगिये शरीर का पहला प्रकार हम देखते है तो वह बाहर भी आसानी से दिखाई देता है। जिस शरीर के पास एक ही लिंग होता है, यानि एक ही लिंग शरीर चाहे वह पुरूष को हो या स्त्री का, वह पुरूष या स्त्री में से कोई भी हो सकता है। जिसे हम हिजड़ा या किन्नर के नाम से जानते है। अब ये कैसे और क्यों यह प्रकृति का एक गहरा विभाजन है। ऐसा शरीर मानव चेतना के विकार से मिला या प्रकृति की कोई भूल है। परंतु हम इस पर बाद में बात कर सकते है। अब इस तरह का शरीर जो एक लिंगिये होता है। वह न समाज के, न प्रकृति के, न ही अध्यात्म के जगत में प्रवेश कर सकता है।