अहंकार के सात द्वार-(मनसा मोहनी)
कुछ दिन पहले हम सात द्वारों के बारे में बात कर रहे थे – कि हम अहंकार को कैसे पोषित करते है। अहंकार कैसे बनता है, अहंकार का भ्रम कैसे मजबूत होता है। इसके बारे में कुछ बातें गहराई से जानना हम सब के लिए मददगार होगा। जिस प्रकार हमारे शरीर में सात चक्र है, तो प्रत्येक चक्र का एक सूर है एक ताल है, लय है। इसी प्रकार हर चक्र का एक रंग है। ठीक इसी प्रकार हर चक्र को एक अहंकार भी है। ये सून कर आप को थोड़ा अजीब जरूर लगेगा।
तो अब एक-एक द्वार से हम अहंकार को समझने की कोशिश करते है। अहंकार से डरना नहीं चाहिए। लेकिन जिस तरह से एक तलवार आप की रक्षा कर सकती है। वह आपकी गर्दन भी काट सकती है। हर उर्जा के दो रूप होते है। इस गहरे से समझना होगा।