अध्याय - 04
अध्याय का शीर्षक: समझ: एकमात्र नियम-( The Only Law)
दिनांक -14 अक्टूबर 1977 प्रातः बुद्ध हॉल में
पहला - 01
प्रिय ओशो, मैं ऐसे परिवार से आता हूँ जहाँ मातृपक्ष से चार आत्महत्याएँ हुई हैं, जिनमें मेरी दादी भी शामिल हैं। इसका किसी की मृत्यु पर क्या प्रभाव पड़ता है? मृत्यु की इस विकृति पर काबू पाने में क्या मदद करता है जो पूरे परिवार में एक विषय के रूप में चलती है?
मृत्यु की घटना सबसे रहस्यमयी घटनाओं में से एक है और आत्महत्या की घटना भी। सतही तौर पर यह तय न करें कि आत्महत्या क्या है। यह कई चीजें हो सकती हैं। मेरी अपनी समझ यह है कि आत्महत्या करने वाले लोग दुनिया के सबसे संवेदनशील लोग होते हैं, बहुत बुद्धिमान। अपनी संवेदनशीलता के कारण, अपनी बुद्धिमत्ता के कारण, उन्हें इस विक्षिप्त दुनिया से निपटना मुश्किल लगता है।
समाज विक्षिप्त है। यह विक्षिप्त नींव पर ही अस्तित्व में है। इसका पूरा इतिहास पागलपन, हिंसा, युद्ध, विनाश का इतिहास है। कोई कहता है, "मेरा देश दुनिया का सबसे महान देश है" - अब यह विक्षिप्तता है। कोई कहता है, "मेरा धर्म दुनिया का सबसे महान और सर्वोच्च धर्म है" - अब यह विक्षिप्तता है। और यह विक्षिप्तता रक्त और हड्डियों तक पहुँच गई है, और लोग बहुत, बहुत सुस्त, असंवेदनशील हो गए हैं। उन्हें ऐसा होना ही था, अन्यथा जीवन असंभव हो जाता।