नये परिवार का आधार:-(प्रवचन-सत्तरहवां)
विवाह नहीं, प्रेम
मेरे प्रिय आत्मन्!एक मित्र ने पूछा है कि मैं परिवार के संबंध में कुछ कहूं।
परिवार के संबंध में पहली बात तो यह कहना चाहूंगा कि परिवार मनुष्य के द्वारा निर्मित की गई प्राचीनतम संस्था है, और इसलिए स्वभावतः सबसे ज्यादा सड़-गल गई है। परिवार मनुष्य की अधिकतम बीमारियों का उदगम-स्रोत है। और जब तक परिवार रूपांतरित नहीं होता तब तक मनुष्य के जीवन में शुभ की, सत्य की, सुंदर की संभावनाएं पूरे अर्थों में विकसित नहीं हो सकती हैं।
परिवार जैसा आज तक रहा है, उस परिवार को ठीक से समझने के लिए यह ध्यान में रख लेना जरूरी है कि परिवार का जन्म प्रेम से नहीं, बल्कि प्रेम को रोक कर हुआ है। इसीलिए सारे पुराने समाज प्रेम के पहले ही विवाह पर जोर देते रहे हैं। सारे पुराने समाजों का आग्रह रहा है कि विवाह पहले हो, प्रेम पीछे आए। विवाह पर जोर देने का अर्थ एक ही है कि परिवार एक यांत्रिक व्यवस्था बन सके। प्रेम के साथ यांत्रिक व्यवस्था का तालमेल बिठाना कठिन है।