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गुरुवार, 19 अगस्त 2021

तंत्रा-विज्ञान-(Tantra Vision-भाग-01)-प्रवचन-10

तंत्रा-विज्ञान-Tantra Vision(सरहा के गीत)-भाग-पहला


दसवां—प्रवचन—(हिंगल डे जिबिटी डांगली जी)

दिनांक-30 मार्च 1977 ओशो आश्रम पूना)  

 

पहला प्रश्न: यह प्रभा का प्रश्न है: प्रिय ओशो, हिंगल डे जे, विपिटी डांग जांग—डो रन नन, डे जुन बुंग।

हिंगल डे जिबिटी डांगली जी?  

    

यह अत्यंत सुंदर है, प्रभा! यह सौन्दर्य पूर्ण है। यह बहुत बढियां है, बच्ची। मैं तुम्हें स्थिर बुद्धि बनाए जा रहा हूं। बस एक कदम और...और संबोधि

 

दूसरा प्रश्न: क्या प्रार्थना उपयोगी है? यदि हां, तो मुझे सिखादें कि कैसे करूं। मेरा तात्पर्य है, प्रार्थना ईश्वर के प्रेम को प्राप्त करने के लिए, उसके प्रसाद को अनुभव करने के लिए।

 

पहल बात, प्रार्थना उपयोगी नहीं है—जरा भी नहीं। प्रार्थना का कोई उपयोग, कोई उपयोगिता नहीं है। यह कोई वस्तु नहीं है। तुम इसका उपयोग नहीं कर सकते हो। यह कोई चीज नहीं है। यह किसी अन्य चीज का साधन नहीं है—इसका उपयोग तुम कैसे कर सकते हो?