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सोमवार, 17 अक्तूबर 2022

तंत्रा-विज्ञान-(Tantra Vision-भाग-02)-प्रवचन-00

तंत्रा-विज्ञान-Tantra Vision-(सरहा के गीत)-भाग-दूसरा


दिनांक 01 मई 1977 ओशो आश्रम पूना।

(सरहा के राज गीतों पर दिये गये ओशो के बीस अमृत प्रवचनों में दस का संकलन जो उन्होंने पूना आश्रम में दिनांक 01 मई 1977 से 10 मई 1977 में ओशो आश्रम पूना के बुद्धा हाल में दिए थे।) 

 

भूमिका:

ओशो कहते है कि तंत्र एक खतरनाक दर्शन और धर्म है। मनुष्य के पर्याप्त साहसी न होने के कारण ही बड़े पैमाने पर अभी तक तंत्र के प्रयोग और प्रयास नहीं किये गए। केवल बीच-बीच में कुछ प्रयोग और प्रयास वैयक्तिगत लोगों द्वारा ही तंत्र के आयाम को छेड़ा गया। लेकिन यह अधुरा प्रयास बहुत ही खतरनाक बन गया। अधुरी बात हमेशा गलत और खतरनाक होती ही है। लेकिन समाज द्वरा स्वीकृति न मिलने से उन लोगों को अनेक यातनाएं झेलनी पड़ी। उन्हें गलत समझा गया।

तंत्र कहता है कि एक ऐसी स्त्री के साथ रहना और उससे प्रेम करना भले ही वह तुम्हारी पत्नी हो, जिसके प्रति तुम्हारे प्रेम का प्रवाह बंद  हो गया हो और जिसके साथ रहने में तुम्हें आनंद नहीं मिलता हो, एक पाप और व्यभिचार जैसा ही है। उसके साथ प्रेम करना एक बलात्कार करना है। और स्त्री भी यदि अपने पति से प्रेम नहीं करती और उसके साथ तब उसके साथ रहना एक प्रकार की यात्ना देने जैसा ही है। और संभोग तो एक प्रकार का बलतकार ही नहीं वेश्यावृति जैसा है।