आठवां-प्रवचन-(ओशो)
क्या मनुष्य एक रोग है?
मेरे प्रिय आत्मन्!क्या मनुष्य एक रोग है? इ.ज मैन ए डि.जी.ज? इस संबंध में सबसे पहले जो बात मैं आपसे कहना चाहूं, मनुष्य अपने आप में तो रोग नहीं है, लेकिन मनुष्य जैसा हो गया है वैसा जरूर रोग हो गया है। अपने आप में तो इस जगत में सभी चीजें स्वस्थ हैं लेकिन जो भी स्वस्थ है उसे रुग्ण होने की संभावना है। जो भी स्वस्थ है वह बीमार हो सकता है। जीवित होने के साथ दोनों ही मार्ग खुले हुए हैं। सिर्फ मरा हुआ ही व्यक्ति बीमारी के भय के बाहर हो सकता है जिंदा व्यक्ति का अर्थ ही यही है कि वह बीमार हो सकता है इसकी पासिबिलिटी है, इसकी संभावना है। और मनुष्य बीमार हो गया है।
मनुष्य का पूरा इतिहास उसकी बीमारियों का इतिहास है। और मनुष्य की पूरी सभ्यता उसकी बीमारियों को छिपाने का प्रयास है। मनुष्य किसी भांति जी लेता है लेकिन जीने का नाम जिंदगी नहीं है। और हम किसी भांति जन्म से लेकर मृत्यु की यात्रा कर लेते हैं इसलिए अपने को जीवित समझ लेना काफी नहीं है।