मैं खड़ा हूं—अजीब बात है, इस समय तो मैं आराम कर रहा हूं—मेरा मतलब है अपनी स्मृति में मैं मस्तो कि साथ खड़ा हूं। निश्चित ही तो ऐसा कोई और नहीं है जिसके साथ मैं खड़ा हो सकता हूं। मस्तो के बाद दूसरे किसी का संग-साथ तो बिलकुल अर्थहीन है।
मस्तो तो पूर्णतया समृद्ध थे—भीतर से भी और बाहर से भी। उनके रोम-रोम से उनकी आंतरिक समृद्धि झलकती थी। अपने विविध संबंधों का उन्होंने जो विशाल जाल बुन रखा था उसका हर तंतु मूल्य वान था और इसके बारे मैं उन्होंने मुझे धीरे-धीरे अवगत किया। अपने जाने-पहचाने सब लोगो से तो उन्होंने मुझे परिचित नहीं कराया—ऐसा करना संभव नहीं था। मुझे जल्दी थी वह करने की जिसे में कहता हूं, न करना। वे मेरे प्रति अपनी जिम्मेवारी को पूरा करने की जल्दी मैं थे। चाहते हुए भी वह मेरे लिए अपने सब संबंधों का लाभ उपलब्ध न करा सके। इसके दूसरे कारण भी थे।