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सोमवार, 30 दिसंबर 2019

ऋतु आये फल होय-(प्रवचन-07)

मैं अभी मरा नहीं हूं—(प्रवचन-सातवां)  


ऋतु आये फल होय--The Gras grow by Itself--ओशो
 (ज़ेन पर ओशो द्वारा दिनांक 27 फरवरी 1975 में अंग्रेजी में दिये गये अमृत प्रवचनों का हिन्दी में अनुवाद)
सूत्र:
एक भूतपूर्व सम्राट ने सद्‌गुरु गूडो से पूछा:
एक बुद्धत्व को उपलब्ध व्यक्ति को मृत्यु के बाद क्या घटता है?
गूडो ने उत्तर दिया:

मैं इसे कैसे जान सकता हूं?
भूतपूर्व सम्राट ने कहा:
आपको इस वजह से जानना चाहिए- क्योंकि आप एक सद्‌गुरु हैं।
गूडो ने उत्तर दिया:

वह तो ठीक है श्रीमान्!
लेकिन मैं अभी मरा ही नहीं हूं।

मंगलवार, 24 दिसंबर 2019

ऋतु आये फल होय-(प्रवचन-06)

जागरण—(प्रवचन-छठवां)  

ऋतु आये फल होय--The Gras grow by Itself--ओशो

 (ज़ेन पर ओशो द्वारा दिनांक 26 फरवरी 1975 में अंग्रेजी में दिये गये अमृत प्रवचनों का हिन्दी में अनुवाद)
सूत्र:
महान सदगुरु गीजान के सान्निध्य में
तीन वर्षों के कठोर प्रशिक्षण के बाद भी
कोश सतोरी प्राप्त करने में समर्थ न हो सका था।
सात दिनों के विशिष्ट अनुशासन सत्र के प्रारम्भ में ही
उसने सोचा कि अंतिम रूप से उसके लिए यह अवसर आ पहुंचा है,
वह मंदिर के द्वार की मीनार के ऊपर चढ़ गया।

और बुद्ध की प्रतिमा के सामने जाकर उसने यह प्रतिज्ञा की:
या तो मैं यहां अपने सपने को साकार करूंगा,
अथवा इस मीनार के नीचे गिरे, वे मेरे मृत शरीर को पाएंगे।

रविवार, 22 दिसंबर 2019

ऋतु आये फल होय-(प्रवचन-05)

मौन का सद्‌गुरु—(प्रवचन पांचवां)  



ऋतु आये फल होय--The Gras grow by Itself--ओशो
 (ज़ेन पर ओशो द्वारा दिनांक 25 फरवरी 1975 में अंग्रेजी में दिये गये अमृत प्रवचनों का हिन्दी में अनुवाद)
सूत्र:
वहां एक भिक्षु रहता था, जो अपने को 'मौन का सदगुरु' कहता था।
वास्तव में वह एक ढोंगी था, और उसके पास कोई प्रामाणिक समझ न थी।

अपने धोखा देने वाले निरर्थक ज़ेन का व्यापार करने के लिए-
उसने अपने पास सेवा के लिए दो वाक्पटु भिक्षुओं को,
लोगों के प्रश्नों के उत्तर देने के लिए रख छोड़ा था।

मंगलवार, 17 दिसंबर 2019

33-सांसों का एतबार (कविता)

सांसों का एतबार --(मेरी कविता)

कितनी सपनों को था देखा हमने,
  कितने तारे थे मेरे दामन में।।
    कितनी रुसवाईयां सही थी हमने,
      कितने बादों पर एतबार किया था।
        सांसों के कुछ हारों को गुथा हमने।
          रातों के तारों के छुपने से पहले,
            कितने आंसुओं की पिरोती थी माला!
              कितनी सिसकियाँ दबी घुटी सी,
             सिसक-सिसक कर कुछ कहना चाहा,
           सपनों को पलकों के जाने से पहले।
         कितनी सीने में दबी थी आहें।
      कोई तो जाकर उनसे कह दो।

सोमवार, 16 दिसंबर 2019

ऋतु आये फल होय-(प्रवचन-04)

लुलियांग का जलप्रपात—प्रवचन-चौथा

ऋतु आये फल होय--The Gras grow by Itself--ओशो

 (ज़ेन पर ओशो द्वारा दिनांक 22 फरवरी 1975 में अंग्रेजी में दिये गये अमृत प्रवचनों का हिन्दी में अनुवाद)

सूत्र:

कनफ्यूशियस लुलियांग के विशाल जलप्रपात को देख रहा था।
वह दो सौ फीट की ऊंचाई से नीचे गिरता है,
और उसके झाग पंद्रह मील दूर तक पहुंचते हैं।.
मछली-घड़ियाल जैसे जीव भी उसके प्रवाह में जीवित नहीं रह पाते।
फिर भी कनफ्यूशियस  ने एक वृद्ध व्यक्ति को

उसके अन्दर जाते हुए देखा।
यह सोचते हुए कि वह वृद्ध व्यक्ति, किसी मुसीबत से पीड़ित होकर ही
अपने जीवन को समाप्त कर देने को इच्छूक है,

कनफ्यूशियस  ने अपने एक शिष्य को आदेश दिया:

कि वह किनारे-किनारे दौड़ते हुए वहां जाकर-
उसे बचाने का प्रयास करे।

रविवार, 15 दिसंबर 2019

ऋतु आये फल होय-(प्रवचन-03)

शून्यता और भिसु की नाक--(प्रवचन-तीसरा)
 ऋतु आये फल होय--The Gras grow by Itself--ओशो

 (ज़ेन पर ओशो द्वारा दिनांक 23 फरवरी 1975 में अंग्रेजी में दिये गये अमृत प्रवचनों का हिन्दी में अनुवाद)
सूत्र:
सीको ने अपने एक भिक्षु से कहा:
क्या तुम शून्यता को झपटकर पकड़ सकते हो?
भिक्षु ने कहा: मैं प्रयास करूंगा,
और उसने अपनी हथेलियों को प्यालानुमा बनाकर हवा में
उसे मुट्ठियों में पकड़ने का प्रयास किया।
सीको ने कहा: ऐसा करना ठीक नहीं है,
तुमने वहां कोई भी चीज नहीं पाई।
भिक्षु ने कहा : आप ही ठीक हैं, प्यारे सदगुरु, पर कृपया हमें इससे
बेहतर उपाय करके बतालाइए।
तब सीको ने भिक्षु की नाक पकड़कर
उसे तेजी से झटका देकर अपनी ओर खींचा।
'आउच' की ध्वनि के साथ भिक्षु चीखते हुए बोला--आपने मुझ पर
चोट की?
सीको ने कहा: शून्यता को पकड़ने का यही एक रास्ता है।

शनिवार, 14 दिसंबर 2019

ऋतु आये फल होय-(प्रवचन-02)

सद्‌गुरु और शिष्ट--प्रवचन-दूसरा


ऋतु आये फल होय--The Gras grow by Itself--ओशो
 (ज़ेन पर ओशो द्वारा दिनांक 22 फरवरी 1975 में अंग्रेजी में दिये गये अमृत प्रवचनों का हिन्दी में अनुवाद)
लीहन्ध हर समय व्यस्त नहीं रहता था।
यिन शेंग ने अवसर पाकर उससे गुहा रहस्यों को दिए जाने की मांग की:
मुंह मोड़कर लहित्थू ने उसे दूर हटा दिया होता, और उससे कुछ कहा ही
नहीं होता।
लेकिन यह ख्याल कर
कि कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में वह भी विकसित हो सकता है--
उसने कहा
मेरा ख्याल था कि तुम मेधावी और होशियार हो,
पर वास्तव में तुम अन्य सभी लोगों से भिन्न नहीं हो।
आज मैं तुम्हें बताऊंगा कि मैंने अपने सद्‌गुरु से क्या सीखा?

गुरुवार, 12 दिसंबर 2019

ऋतु आये फल होय-(प्रवचन-01)

ऋतु आये फल होय--The Gras grow by Itself--ओशो

ज़ेन : एक प्राकृतिक प्रवाह

(ज़ेन पर ओशो द्वारा फरवरी 1975 में अंग्रेजी में दिये गये अमृत प्रवचनों का हिन्दी में अनुवाद)
ज़ेन का महत्व क्या है?--(पहला प्रवचन)
प्रवचन : दिनांक 21 फरवरी 1975
सारसूत्र:
किसी व्यक्ति ने सद्‌गुरु बोकूजू से पूछा :
हमें कपड़े पहनने होते हैं और प्रतिदिन भोजन करना होता है,
इस सभी से हम कैसे बाहर आएं?

बोकूजू ने उत्तर दिया :
हम कपड़े पहनें, हम भोजन करें।
प्रश्नकर्त्ता ने कहा :
मैं कुछ समझा नहीं।
बोकूजू ने उत्तर दिया :
यदि तुम नहीं समझे,
तो अपने कपड़े पहन लो,
और खाना खा लो।
 ज़ेन क्या है?
ज़ेन है एक बहुत असाधारण विकास।

मेरी प्रिय पुस्तकें-(सत्र-16)

मेरी प्रिय पुस्तकें-ओशो

सत्र-सौलहवां

 ओ. के.। पोस्ट-पोस्टस्क्रिप्ट में मैं कितनी पुस्तकों के बारे में चर्चा कर चुका हूं? हूंऽऽऽ...?
‘‘चालीस, ओशो।’’
चालीस?
‘‘हां, ओशो।’’
तुम्हें पता है कि मैं एक जिद्दी आदमी हूं। चाहे कुछ भी हो जाए मैं इसे पचास तक पूरा करके रहूंगा; वरना दूसरा पोस्ट-पोस्ट-पोस्टस्क्रिप्ट प्रारंभ कर दूंगा। सच में मेरी जिद ने ही मुझे लाभ पहुंचाया है: दुनिया में जो हर प्रकार की बकवास भरी पड़ी है, उससे मुकाबला करने में मुझे इससे मदद मिली है। दुनिया में हर जगह हर किसी के चारों ओर यह जो अति सामान्य योग्यता वाला आदमी है, उसके विरुद्ध अपनी बुद्धिमत्ता को बचाए रखने में इसने मेरी काफी मदद की है। इसलिए मैं इस बात से बिलकुल भी दुखी नहीं हूं कि मैं जिद्दी हूं; असल में, मैं भगवान का शुक्रिया अदा करता हूं कि उसने मुझे इस तरह से बनाया है: पूरी तरह से जिद्दी।

रविवार, 8 दिसंबर 2019

मेरी प्रिय पुस्तकें-(सत्र-15)

मेरी प्रिय पुस्तकें-ओशो

सत्र-पंद्रहवां

ओ. के.। आज की इस पोस्टस्क्रिप्ट में जिस पहली पुस्तक के बारे में मैं चर्चा करने जा रहा हूं, उसके बारे में किसी ने सोचा भी नहीं होगाकि मैं उसकी चर्चा करूंगा। वह है महात्मा गांधी की आत्मकथा: ‘माइ एक्सपेरिमेंट्‌स विद ट्रूथ’--सत्य के साथ मेरे प्रयोग।’ सत्य के उनके प्रयोगों के बारे में चर्चा करना सच में अदभुत है। यह सही समय है।
आशु, तुम अपना काम जारी रखो; वरना मैं महात्मा गांधी की निंदा करना शुरू कर दूंगा। काम जारी रखो ताकि मैं इस बेचारे के प्रति नरम रह सकूं। अब तक तो मैं कभी भी नरम नहीं रहा। महात्मा गांधी के प्रति थोड़ा नरम रहने में शायद तुम मेरी मदद कर सको। हालांकि मुझे पता है कि यह लगभग असंभव है।

लेकिन मैं निश्चित रूप से कुछ सुंदर बातें कह सकता हूं। एक: किसी ने भी अपनी आत्मकथा इतनी प्रामाणिकता के साथ, इतनी ईमानदारी के साथ नहीं लिखी है। यह अब तक कि लिखी गई सबसे अधिक प्रामाणिक आत्मकथाओं में से एक है।

शुक्रवार, 6 दिसंबर 2019

मेरी प्रिय पुस्तकें-(सत्र-14)

मेरी प्रिय पुस्तकें-ओशो

सत्र-चौदहवां

मुझे पता चला है, देवगीत, सुबह तुम बहक कर आपे से बाहर हो गए थे। कभी-कभी बहक जाना एक अच्छा व्यायाम है, लेकिन आपे से बाहर होने का मैं समर्थन नहीं करता हूं। यह एक सामान्य बात है--जिसे गार्डन वैरायटी भी कह सकते हैं। बहको भीतर की ओर! यदि तुम्हें बहकना ही है, तो आपे से बाहर क्यों? स्वयं के भीतर क्यों नहीं? यदि तुम भीतर की ओर बहक जाओ तो ओशो दीवाने बन जाओे, और यह मूल्यवान है। तुम ओशो दीवाना होने के मार्ग पर हो, लेकिन तुम बहुत सावधानीपूर्वक चल रहे हो; कहना चाहिए वैज्ञानिक ढंग से, तर्कसंगत उपाय से।
मैं तुम्हें नोट्‌स भी नहीं लिखने देता हूं, बीच में ही बोल पड़ता हूं। क्षमा मांगने के बजाय मैं तुम पर चिल्लाता हूं, और जब तुम बीच में बोल भी नहीं रहे होते हो, तब भी मैं कहता हूं, ‘‘बीच में मत बोलो, देवगीत!’’ मैं जानता हूं कि इससे कोई भी बहक सकता है।

मेरी प्रिय पुस्तकें-(सत्र-13)

मेरी प्रिय पुस्तकें-ओशो

सत्र-तेहरवां

आज की पहली पुस्तक है: इरविंग स्टोन की ‘लस्ट फॉर लाइफ’--‘जीवेषणा।’ यह विनसेंट वानगॉग के जीवन पर आधारित एक उपन्यास है। स्टोन ने  इतना अदभुत कार्य किया है कि मुझे याद नहीं आता कि किसी और ने इस तरह का कार्य किया हो। किसी ने भी किसी दूसरे व्यक्ति के बारे में इतनी अंतरंगता से नहीं लिखा है, जैसे कि वह अपने ही खुद के अस्तित्व के बारे में लिख रहा हो।
‘लस्ट फॉर लाइफ’ मात्र एक उपन्यास नहीं है, यह एक आध्यात्मिक पुस्तक है। मेरे अर्थ में यह आध्यात्मिक है, क्योंकि मेरी दृष्टि में कोई केवल तभी आध्यात्मिक हो सकता है जब जीवन के सभी आयाम एक साथ संयुक्त हों। यह पुस्तक इतनी खूबसूरती से लिखी गई है कि इरविंग स्टोन स्वयं कभी इससे बेहतर लिख पाएगा इसकी दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं है।
इस पुस्तक के बाद उसने कई और पुस्तकें लिखी हैं, और आज की मेरी दूसरी पुस्तक भी इरविंग स्टोन की ही है। मैं इसे दूसरी गिन रहा हूं, क्योंकि यह दूसरे दर्जे की है, ‘लस्ट फॉर लाइफ’ की गुणवत्ता की नहीं है। यह है ‘दि एगोनि एंड एक्सटेसी’--‘पीड़ा और आनंद’, यह भी उसी तरह की है--दूसरे व्यक्ति के जीवन पर आधारित।

गुरुवार, 5 दिसंबर 2019

मेरी प्रिय पुस्तकें-(सत्र-12)

मेरी प्रिय पुस्तकें-ओशो

सत्र-बारहवां

ओ. के., अब यह पोस्ट-पोस्टस्क्रिप्ट है। मेरी परेशानी समझना मुश्किल है। जहां तक मुझे याद है मैं हमेशा से पढ़ता ही रहा हूं और दिन हो कि रात हो मैंने पढ़ने के सिवाय और कुछ भी नहीं किया है, लगभग आधी शताब्दी मैं पढ़ता ही रहा हूं। इसलिए स्वभावतः, किसी पुस्तक का चुनाव करना करीब-करीब एक असंभव सा कार्य है। लेकिन मैंने इन सत्रों में यह काम जारी रखा है, इसलिए जिम्मेवारी तुम्हारी है।

पहली: मार्टिन बूबर... यदि मार्टिन बूबर को शामिल न करता तो मैं अपने आप को कभी माफ नहीं कर पाता। प्रायश्चित के रूप मैं उनकी दो पुस्तकें शामिल कर रहा हूं: पहली है, ‘टेल्स ऑफ हसीदिज्म।’ डी. टी. सुजुकी ने झेन के लिए जो किया है, वही बूबर ने हसीद धर्म के लिए किया है। दोनों ने साधकों के लिए अदभुत कार्य किया है, लेकिन सुजुकी बुद्धत्व को उपलब्ध हो गए; पर अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि बूबर नहीं हो सके।

बुधवार, 4 दिसंबर 2019

मेरी प्रिय पुस्तकें-(सत्र-11)

मेरी प्रिय पुस्तकें-ओशो

सत्र-ग्यारहवीं

 ओ. के.। पोस्टस्क्रिप्ट में अब तक मैंने कितनी पुस्तकों के बारे में बताया होगा?
‘‘अब तक चालीस पुस्तकें पोस्टस्क्रिप्ट में हो गई हैं, ओशो।’’
ठीक है। मैं एक जिद्दी आदमी हूं।
 पहली: कॉलिन विलसन की दि आउटसाइडर।यह इस सदी की सबसे प्रभावशाली पुस्तकों में से एक है--लेकिन आदमी साधारण है। वह अदभुत क्षमतावानविद्वान है, और हां, यहां-वहां कुछ अंतर्दृष्टियां हैं--लेकिन पुस्तक सुंदर है।
जहां तक कॉलिन विलसन का सवाल है, वह खुद आउटसाइडर, बाहरी व्यक्ति नहीं है; वह एक सांसारिक आदमी है। मैं एक आउटसाइडर हूं, इसीलिए यह पुस्तक मुझे अच्छी लगती है। मुझे यह अच्छी लगती है क्योंकि--हालांकि वह जिस आयाम की बात करता है वह खुद उसको नहीं जानता है--उसका लेखन सत्य के बहुत, बहुत निकट है। लेकिन ध्यान रहे, भले ही तुम सत्य के निकट होओ तुम अभी भी हो असत्य ही। या तो तुम सत्य हो या असत्य, बीच में कुछ भी नहीं होता है।

मंगलवार, 3 दिसंबर 2019

मेरी प्रिय पुस्तकें-(सत्र-10)

मेरी प्रिय पुस्तकें-ओशो

सत्र-दसवां
ओ. के., मैंने पोस्टस्क्रिप्ट में कितनी किताबों के बारे में बात कर ली है--चालीस?
‘‘मेरे खयाल से, तीस, ओशो।’’
तीस? अच्छा है। कितनी राहत की बात है यह, क्योंकि बहुत सारी पुस्तकें अभी भी प्रतीक्षा कर रही हैं। जो राहत मुझे मिली है उसको तुम केवल तभी समझ सकते हो जब तुम्हें हजार में से एक पुस्तक को चुनना हो। और ठीक यही कार्य मैं कर रहा हूं। पोस्टस्क्रिप्ट जारी है...
 पहली पुस्तक, ज्यां पाल सार्त्र की बीइंग एंड नथिंगनेस। यह मैं पहले ही बता दूं कि यह आदमी मुझे पसंद नहीं है। मैं इसे इसलिए पसंद नहीं करता, क्योंकि यह आदमी अभिमान से भरा हुआ है। यह इस सदी के सबसे अभिमानी लोगों में से एक है।

सोमवार, 2 दिसंबर 2019

मेरी प्रिय पुस्तकें-(सत्र-09)

मेरी प्रिय पुस्तकें-ओशो

सत्र-नौवां

 अब मेरा समय है। मुझे नहीं लगता है कि किसी ने भी एक दंत-चिकित्सक की कुर्सी पर बैठ कर बोला होगा। यह मेरा विशेषाधिकार है। मैं देख रहा हूं कि संबुद्ध लोगों को भी मुझसे ईर्ष्या हो रही है।
पोस्टस्क्रिप्ट जारी है...
 आज की पहली पुस्तक: हास की दि डेस्टिनी ऑफ दि माइंड।मुझे पता नहीं कि उसके नाम का उच्चारण कैसे किया जाता है: एच-ए-ए-एस--मैं उसे हास कहूंगा। यह पुस्तक बहुत प्रसिद्ध नहीं है, इसका सीधा सा कारण यह है कि यह बहुत गहरी है। मुझे लगता है कि यह व्यक्ति हास जर्मन होना चाहिए; फिर भी उसने अत्यंत महत्वपूर्ण पुस्तक लिखी है। वह कवि नहीं है, वह एक गणितज्ञ की तरह लिखता है। यही वह व्यक्ति है जिससे मैंने फिलोसियाशब्द पाया है।

रविवार, 1 दिसंबर 2019

मेरी प्रिय पुस्तकें-(सत्र-08)

मेरी प्रिय पुस्तकें-ओशो 
सत्र--आठवां
एक साधक बनो--एक खोजी। पोस्टस्क्रिप्ट, पश्चलेख जारी है।
 पहली किताब है फ्रेड्रिक नीत्शे की: विल टु पॉवर। जब तक वह जीवित था, इसे प्रकाशित नहीं किया गया। यह उसके मरने के बाद प्रकाशित हुई, और इस बीच, पुस्तक के छपने से पहले ही, तुम्हारे बहुत से तथाकथित महान व्यक्ति इसकी पाडुंलिपी से चोरी कर चुके थे।
अल्फ्रेड एडलर महानतममनोवैज्ञानिकों में से एक था। मनोवैज्ञानिकों की त्रिमूर्ति में से वह एक था: फ्रायड, जुंग और एडलर। वह बस एक चोर है। एडलर ने अपना पूरा मनोविज्ञान फ्रेड्रिक नीत्शे से चुराया है।
एडलर कहता है: शक्ति पाने की आकांक्षामनुष्य की मौलिक प्रवृत्ति है। गजब! किसको वह धोखा देने की कोशिश कर रहा था? फिर भी लाखों मूर्ख धोखा खा गए। अभी भी एडलर को महान व्यक्ति माना जाता है। वह बस एक छोटा सा आदमी है, उसे भूल जाओ और क्षमा कर दो।