मुझे चक्करों में जाना पड़ेगा—चक्कर के भीतर चक्कर, चक्कर के भीतर चक्कर, क्योंकि जीवन ऐसा है। और खासकर मेरे लिए। पचास वर्षो में मैंने कम से कम पचास जीवन जी लिए है। जीने के अतिरिक्त मैंने और कुछ किया ही नहीं है? और लोगों को तो बहुत काम धंधे है, लेकिन मैं तो बचपन से ही यायावर रहा, कुछ नहीं करता था, सिर्फ जिया। जब तुम कुछ नहीं करते, सिर्फ जीते हो तो जीवन का आयाम बदल जाता है। यह सपाट नहीं चलता, उसमें गहराई आ जाती है।
देव गीत, अच्छा हुआ कि तुम कभी मेरे छात्र न थे, नहीं तो तुम कभी डेंटिस्ट न बन पाते। मैं तुम्हें कभी प्रमाणपत्र न देता। लेकिन यहां पर तुम हंस सकते हो यह सोच कर कि मैं आराम से बैठा हूं और कोई समस्या नहीं है। लेकिन याद रखो कि अगर में मर भी जांऊ तो भी तुम्हारे ऊपर चिल्लाने के लिए में कब्र से उठ कर आ सकता हूं। जीवन भर मैं यहीं तो करता रहा हूँ।