अंधकार—संबंधी
दूसरी विधि:
‘जब
चंद्रमाहीन
वर्षा की रात
में उपलब्ध न
हो तो आंखें
बंद करो और
अपने सामने
अंधकार को
देखो। फिर
आंखे खोकर
अंधकार को
देखो। इस प्रकार
दोष सदा के
लिए विलीन हो
जाते है।’
मैंने कहा
कि अगर तुम आंखें
बंद कर लोगे
तो जो अंधकार
मिलेगा वह
झूठा अंधकार
होगा। तो क्या
किया जाए अगर
चंद्रमाहीन
रात, अंधेरी रात
न हो। यदि
चाँद हो और
चाँदनी का प्रकाश
हो तो क्या
किया जाए? यह
सूत्र उसकी
कुंजी देता
है।
‘जब
चंद्रमाहीन
वर्षा की रात
उपलब्ध न हो
तो आंखें बंद
करो और अपने
सामने अंधकार
को देखो।’
आरंभ में
यह अंधकार
झूठा होगा।
लेकिन तुम इसे
सच्चा बना
सकते हो, और यह इसे
सच्चा बनाने
का उपाय है।
‘फिर
आंखें खोलकर
अंधकार को
देखो।’
पहले
अपनी आंखें
बंद करो और
अंधकार को
देखो। फिर
आंखें खोलों
और जिस अंधकार
को तुमने भीतर
देखा उसे बाहर
देखो। अगर बाहर
वह विलीन हो
जाए तो उसका
अर्थ है कि जो
अंधकार तुम्हारे
भीतर देखा था
वह झूठा था।