बोतल का रहस्य
मेरे पिता, जब वे किस समारोह में, किसी विवाह में, किसी जन्म-दिवस की दावत में या कहीं और जा रहे होते,तो मुझको साथ ले जाया करते थे। वे मुझे इस शर्त पर ले जाते थे। कि मैं बिलकुल खामोश रहूंगा, अन्यथा तुम कृपया घर में ही रहो।
मैं कहता: लेकिन क्यों? मेरे अतिरिक्त प्रत्येक व्यक्ति को बोलने की अनुमति है।
वे कहते, तुम जानते हो, मैं जानता हूं,और प्रत्येक जानता है। कि तुमको बोलने की अनुमति क्यों नहीं है—क्योंकि तुम एक उपद्रव हो।
लेकिन, मैं कहता, उन बातों में जितना संबंध मुझसे है आप वचन दें कि आप मेरे मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे, और मैं बचन देता हूं कि में खामोश रहूंगा।
और अनेक बार ऐसा हो गया कि उनको हस्तक्षेप करना पडा। उदाहरण के लिए, यदि काई बड़ी उम्र का व्यक्ति मिल गया—कोई दूर का सबंधी, परंतु भारत में इससे कोई अंतर नहीं पड़ता है—मेरे पिता उसके चरणस्पर्श करते और मुझसे कहते,उनके पैर छुओ।
मैं कहता: आप मेरे मामले में हस्तक्षेप कर रहे है। और हमारा समझौता समाप्त। मैं इन बुजुर्ग व्यक्ति के चरण क्यों स्पर्श करूं? उनका मस्तक स्पर्श क्यों न करूं, यदि आप उनके चरणस्पर्श करना चाहते है तो उनको दुबारा, तिबारा स्पर्श कर सकते है। मैं हस्तक्षेप नहीं करूंगा। लेकिन मैं चरण क्यों स्पर्श क्यों करूं?