‘हे
प्रिये, इस
क्षण में मन, ज्ञान,
प्राण, रूप, सब को
समाविष्ट
होने दो।’
यह विधि
थोड़ी कठिन
है। लेकिन अगर
तुम इसे
प्रयोग कर सको
तो यह विधि बहुत
अद्भुत और
सुंदर है। ध्यान
में बैठो तो
कोई विभाजन मत
करो;ध्यान
में बैठे हुए
सब को—तुम्हारे
शरीर, तुम्हारे
मन, तुम्हारे
प्राण,
तुम्हारे
विचार,
तुम्हारे
ज्ञान—सब को
समाविष्ट कर
लो। सब को
समेट लो,
सब को सम्मिलित
कर लो। कोई
विभाजन मत करो, उन्हें खंडों
में मत बांटो।