(अमेरिका में तथा विश्व भ्रमण के दौरान ओशो ने जगह-जगह विश्व के पत्रकारों के साथ वार्तालाप किया। ये सभी वार्तालाप ‘’दि लास्ट टैस्टामैंट’’ शीर्षक से उपलब्ध है। इसके छह भाग है लेकि अभी केवल एक भाग ही प्रकाशित हुआ है।)
दि लास्ट टैस्टामैंट—ए बी सी नेटवर्क के साथ वार्तालाप—ओशो
प्रभु का राज्य पाने को कौन नहीं चाहेगा? जीसस ने कहा है, एक ऊँट तक सूई की आँख में से निकल जाये, लेकिन एक अमीर आदमी कभी स्वर्ग के द्वार में प्रवेश नहीं कर सकता। अब यह आदमी जिम्मेदार है सारी दूनिया में फैली हुई गरीबी के लिए। वह समृद्धि की भत्र्सना कर रहा है। वह उस सृजनात्मकता की निंदा कर रहा है। जिससे सारा विश्व समृद्ध किया जा सकता है।
मैं सभी आयामों की समृद्धि के पक्ष में हूं, और मैं यह कभी नहीं कह सकता कि धन्य है गरीब। यही कार्ल मार्क्स ने कहा; ‘’धर्म लोगों की अफीम है। सुंदर शब्दों का प्रयोग करना आसान है, लेकिन यदि तुम उसमे छिपे हुए आशय को समझ सको तो ईसाई आज क्या कर रहे है, और पिछले हजार वर्षों में उन्होंने क्या किया?वे अनाथालय खोल लेंगे, वे संतति नियमन के विरोध में है। वे गर्भपात के विरोधी है।