दिनांक
5 फरवरी, 1968;
सुबह।
ध्यान
शिविर आजोल।
विचार
का,
थिंकिग का केंद्र
मस्तिष्क है;
और भाव का, फीलिंग का केंद्र
हृदय है; और
संकल्प का, विलिंग का
केंद्र नाभि
है। विचार, चिंतन, मनन
मस्तिष्क से
होता है।
भावना, अनुभव,
प्रेम, घृणा
और क्रोध हृदय
से होते हैं।
संकल्प नाभि
से होते हैं।
विचार के
केंद्र के
संबंध में कल
थोड़ी सी बातें
हमने कीं।
पहले
दिन मैंने
आपको कहा था
कि विचार के
तंतु बहुत कसे
हुए हैं, उन्हें
शिथिल करना है।
विचार पर
अत्यधिक तनाव
और बल है।
मस्तिष्क
अत्यंत
तीव्रता से
खिंचा हुआ है।
विचार की वीणा
के तार इतने खिंचे हुए
हैं कि उनसे
संगीत पैदा
नहीं होता, तार ही टूट
जाते हैं, मनुष्य
विक्षिप्त हो
जाता है और
मनुष्य विक्षिप्त
हो गया है। यह
विचार की वीणा
के तार थोड़े
शिथिल करने
अत्यंत जरूरी
हो गए हैं, ताकि
वे सम—स्थिति
में आ सकें और
संगीत
उत्पन्न हो
सके।