दिनांक
2 दिसंबर ,1978;
श्री
रजनीश आश्रम,
पूना।
प्रश्नसार
:
1—मैंने
मांगा कुछ, और मिला कुछ
और। मांगी मन
की
मृत्यु--मिली
मन की मगनता।
मेरे मन में
ज्ञानऱ्योग
का महत्व
ज्यादा है, परंतु अब
प्रेम-भक्ति
के भाव भी सघन
हो रहे हैं।
मन और शरीर
जैसे रस के
सरोवर में डूब
गये हों! यह सब
क्या है?
2—जहां
सिद्ध सरहपा
और तिलोपा के
नाम सुदूर तिब्बत, चीन और जापान
में उजागर नाम
हैं, वहां
अपने ही जन्म
के देश में वे
उजागर न हुए--इसका
क्या कारण हो
सकता है?
3—आप
कहते हैं कि
बुद्ध जहां
रहते हैं उनके
आस-पास के
सूखे हुए
वृक्ष भी
हरे-भरे हो
जाते हैं, मगर ये
पूनावासी
क्यों सूखते
जा रहे हैं?