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शनिवार, 29 मई 2010
ज्योतिष अर्थात अध्यात्म—3
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गुरुवार, 27 मई 2010
ज्योतिष अर्थात अध्यात्म—2
ज्योतिष अर्थात अध्यात्म--1
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ज्योतिष: अद्वैत का विज्ञान—8(अन्तिम)
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ज्योतिष अद्वैत का विज्ञान—7
टाईम ट्रैक और—हुब्बार्ड
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तो ज्योतिष सिर्फ इतनी ही बात नहीं है कि ग्रह-नक्षत्र क्या कहते है। उनकी गणना क्या कहती है। यह तो सिर्फ ज्योतिष का एक डायमेंशन है, एक आयाम है। फिर भविष्य को जानने के और आयाम भी है।
मंगलवार, 25 मई 2010
धर्म क्या है?
मैं धर्म क्या कहूं? जो कहा जा सकता है, वह धर्म नहीं होगा। जो विचार के परे है, वह वाणी के अंतर्गत नहीं हो सकता है। शास्त्रों में जो है, वह धर्म नहीं है। शब्द ही वहां है। शब्द सत्य की और जाने के भले ही संकेत हों,पर वे सत्य नहीं है। शब्दों से संप्रदाय बनते है, और धर्म दूर ही रह जाता है। इन शब्दों ने ही मनुष्य को तोड़ दिया है। मनुष्यों के बीच पत्थरों की नहीं, शब्दों की ही दीवारें है।
रविवार, 23 मई 2010
ज्योतिष अद्वैत का विज्ञान—6
जैसा मैं आपसे कह रहा था पैरासेल्सस के संबंध में। आधुनिक चिकित्सक भी इस नतीजे पर पहुंचे रहे है। कि जब भी सूर्य पर अनेक बार धब्बे प्रकट होते है....ऐसे भी सूर्य पर कुछ धब्बे है, डाट्स, स्पाट्स होते है—कभी वे बढ़ जाते है, कभी वे कम हो जाते है। जब सूर्य पर स्पाट्स बढ़ जाते है तो जमीन पर बीमारियां बढ़ जाती है। और जब सुर्य पर काले धब्बे कम हो जाते है, तो जमीन पर बीमारियां कम हो जाती है। और जमीन से हम बीमारियां कभी न मिटा सकेंगे जब तक सूर्य के स्पाट्स कायम है।
गुरुवार, 20 मई 2010
ज्योतिष: अद्वैत का विज्ञान—5
शायद पहला जन्म काई, वह जो पानी पर जम जाती है—वह जीवन का पहला रूप है, फिर आदमी तक विकास। जो लोग पानी के ऊपर गहन शोध करते है, वे कहते है पानी सर्वाधिक रहस्यमय तत्व है। जगत से, अन्तरिक्ष से तारों का जो भी प्रभाव आदमी तक पहुंचता है उसमें मीडियम, माध्यम पानी है। आदमी के शरीर के जल को ही प्रभावित करके कोई भी रेडिएशन कोई भी विकीर्णन मनुष्य में प्रवेश करता है। जल पर बहुत काम हो रहा है और जल के बहुत से मिस्टीरियस, रहस्यमय गुण खयाल में आ रहे है।
बुधवार, 12 मई 2010
ज्योतिष: अद्वैत का विज्ञान—4
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हम सबकी चमड़ियां अलग-अलग हैं, इण्डीवीजुअल है। अगर मेरा हाथ टुट जाए और मेरी चमड़ी बदलनी पड़े तो आपकी चमड़ी मेरे हाथ के काम नहीं आयेगी। मेरे ही शरीर की चमड़ी उखाड़ कर लगानी पड़ेगी। इस पूरी जमीन पर कोई आदमी नहीं खोजा जा सकता, जिसकी चमड़ी मेरे काम आ जाए। क्या बात है? शरीर शास्त्री से पूँछें कि क्या दोनों की चमड़ी की बनावट में कोई भेद है—तो कोई भेद नहीं है।
सोमवार, 10 मई 2010
ज्योतिष: अद्वैत का विज्ञान—3
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शनिवार, 8 मई 2010
ज्योतिष: अद्वैत का विज्ञान—2
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गुरुवार, 6 मई 2010
ज्योतिष: अद्वैत का विज्ञान—1
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शनिवार, 1 मई 2010
तीर्थ—11 अंतिम पोस्ट (वृक्ष के माध्यम से संवाद)
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अब इससे सरल क्या होगा की आप बटन दबा देते है और बिजली जल जाती है। लेकिन आप सोच सकते है कि जिसने बिजली बनायी, क्या उसने बटन दबाकर बिजली जला ली होगीं। अब इससे सरल क्यो होगा कि जो मैं बोल रहा हूं वह रिकार्ड हो रहा है। कुछ भी तो नहीं करना पड़ रहा है हमें। लेकिन आप सोचते है, इतनी आसानी से वह टेप रिकार्डर बन गया। अगर मुझसे कोई पूछे कि क्या करना पड़ता है, तो मैं कहूंगा बोल दो और रिकार्ड हो जाता है। लेकिन इस तरह वह बन नहीं गया है।
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