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बुधवार, 25 मई 2011

(ओशो )--- आप अपनी आत्‍म कथा क्‍यों नहीं लिखते?—

यह सवाल ठीक है कि मैं अपनी आत्‍म कथा क्‍यों नहीं लिखता। यह बहुत मजेदार बात है। असल में आत्‍मा के जानने के बाद कोई आत्‍म कथा नहीं होती। और सब आत्‍म कथाएं अहंकार कथाएं है। आत्‍म कथाएं नहीं है, एगो-ग्राफीज है। पहला तो यह कि जिसे हम कहते है आत्‍म-कथा वह आत्‍म-कथा नहीं है। क्‍योंकि जब तक आत्‍मा का पता नहीं है तब तक जो भी हम लिखते है वह ईगो-ग्राफी है। वह अहम-कथा है।

मंगलवार, 24 मई 2011

ओशो नटराज ध्‍यान--

ओशो नटराज ध्‍यान--

ओशो नटराज ध्‍यान ओशो के निर्देशन में तैयार किए गए संगीत के साथ किया जा सकता है। यह संगीत ऊर्जा गत रूप से ध्‍यान में सहयोगी होता है। और ध्‍यान विधि के हर चरण की शुरूआत को इंगित करता है। इस संगीत की सीड़ीज़ (http://www.oshoba.org/osho_audio_discourses.php ) आप यहां से फ्री में डाउन लोड कर सकते है।

सोमवार, 23 मई 2011

ओशो कुंडलिनी ध्‍यान--

ओशो कुंडलिनी ध्‍यान--
      यह सक्रिय ध्‍यान का अति प्रिय सहयोगी ध्‍यान है। इसमें पंद्रह-पंद्रह मिनट के चार चारण है। यह ध्‍यान ओशो के निर्देशन में तैयार किए गए संगीत के साथ किया जा सकता है। यह संगीत ऊर्जा गत रूप से ध्‍यान में सहयोगी होता है और ध्‍यान विधि के हर चरण की शुरूआत को इंगित करता है संगीत की सीड़ीज़ ( ) से डाउनलोड कर सकते है।

शनिवार, 21 मई 2011

ओशो डाइनैमिक ध्‍यान--

ओशो डाइनैमिक ध्‍यान--
      ओशो डाइनैमिक ध्‍यान ओशो के निर्देशन में तैयार किए गए संगीत के साथ किया जाता है। यह संगीत ऊर्जा गत रूप से ध्‍यान में सहयोगी होता है और ध्‍यान विधि के हर चरण की शुरूआत को इंगित करता है। इस संगीत की सीड़ीज़ व डाउनलोड( http://www.oshoba.org/ )करने सुविधा है।
निर्देश—
      डायनमिक ध्‍यान आधुनिक मनुष्‍य को ध्‍यान अपलब्‍ध करवाने के लिए ओशो के प्रमुख योगदानों में से एक है।

मंगलवार, 17 मई 2011

ओशो नाद ब्रह्म ध्‍यान—

ओशो नाद ब्रह्म ध्‍यान—


नाद ब्रह्म एक प्राचीन तिब्‍बती विधि है जिसे सुबह ब्रह्ममुहूर्त में किया जाता रहा है। अब इसे दिन में किसी भी समय अकेले या अन्‍य लोगों के साथ किया जा सकता है। पेट खाली होना चाहिए और इस ध्‍यान के बाद पंद्रह मिनट तक विश्राम करना जरूरी है। यह ध्‍यान एक घंटे का है और इसके तीन चरण है।

पहला चरण: तीस मिनट
     एक विश्राम पूर्ण मुद्रा में आँख और मुंह बंद करके बैठे। अब भौंरे की तरह गुंजार की ध्‍वनि निकालना शुरू करें। गुंजार इतना तीव्र हो की तुम्‍हारे आस पास बैठे लोगों को यह सुनाई पड़ सकें और गुंजार की ध्‍वनि के कंपन तुम्‍हारे पूरे शरीर में फैल सकें। स्‍वयं को एक खाली पात्र या खोखले टयूब की तरह कल्‍पना करो जो गुंजार की ध्वनि से भर गई हो। एक स्‍थिति ऐसी आती है जब गुंजार अपने आप जारी रहता है और तुम एक श्रोता मात्र हो जाते हो। इस विधि में किसी विशेष श्‍वसन प्रक्रिया की जरूरत नहीं है, और तुम गुंजार की लय को बदल भी सकते हो, तथा लगे तो शरीर को धीरे-धीरे झूमने दे सकते हो।

रविवार, 15 मई 2011

बुद्ध की भविष्‍यवाणी—(ओशो की सभागार)

 कथा यात्रा--
सुभूति ने पूछा भगवान बुद्ध से जो आप बोल रहे है, वह आज आपके संग साथ होने पर भी हम समझ-समझ कर समझ नहीं पाते। क्‍या आने वाले समय में , युगांतर काल में, आखिरी पाँव सौ वर्षों में, इस सम्‍यक शिक्षा के पतन काल में जो कि जब इस सूत्र के ये बचन समझायें जा रहे होंगे तो इनके सत्‍य को समझेंगे?

शनिवार, 14 मई 2011

संभोग से समाधि की और—38

विद्रोह क्‍या है?
    दूसरा सूत्र है—सहज जीवन—जैसे हैं, है।
लेकिन सहज होना बहुत कठिन है। सहज होना सच में ही बहुत कठिन बात है। क्‍योंकि हम इतने असहज हो गए है कि हमने इतनी यात्रा कर ली है। अभिनय की कि वहां लौट जाना, जहां हमारी सच्‍चाई प्रकट हो जाये, बहुत मुश्‍किल है।

मंगलवार, 3 मई 2011

संभोग से समाधि की और—37 ( विद्रोह क्‍या है?)

हिप्‍पी वाद मैं कुछ कहूं ऐसा छात्रों ने अनुरोध किया है।   
      इस संबंध में पहली बात, बर्नार्ड शॉ ने एक किताब लिखी है: मैक्‍सिम्‍प फॉर ए रेव्‍होल्‍यूशनरी, क्रांतिकारी के लिए कुछ स्‍वर्ण-सूत्र। और उसमें पहला स्‍वर्ण बहुत अद्भुत लिखा है। और एक ढंग से पहले स्‍वर्ण सूत्र लिखा है: दि फार्स्‍ट गोल्‍डन रूल इज़ दैट देयर आर नौ गोल्‍डन रूल्‍स पहला स्‍वर्ण नियम यही है कि कोई भी स्‍वर्ण-नियम नहीं है।
      हिप्‍पी वाद के संबंध में जो पहली बात कहना चाहूंगा, वह यह कि हिप्‍पी वाद कोई वाद नहीं है, समस्‍त वादों का विरोध है। पहली पहले इस वाद को ठीक से समझ ले।

जब बरसता है तुम्‍हारा माधुर्य—(कविता)

जब बरसता है  माधुर्य तुम्‍हारा
छलक़ता है भर-भर प्‍याला मेरा
तब झूम उठता है उपवन का पौर-पौर
गाने लगते है कंठ-कोकिला के
पर होती है उनमें तेरी ही—स्‍वर लहरी?

सोमवार, 2 मई 2011

संभोग से समाधि की और—36(जनसंख्‍या विस्‍फोट)

जनसंख्‍या विस्‍फोट

प्रश्‍न कर्ता: भगवान श्री, एक और प्रश्‍न है कि परिवार नियोजन जैसा अभी चल रहा है उसमें हम देखते है कि हिन्‍दू ही उसका प्रयोग कर रहे है, और बाकी और धर्मों के लोग ईसाई, मुस्‍लिम, ये सब कम ही उपयोग कर रहे है। तो ऐसा हो सकता है कि उनकी संख्‍या थोड़े वर्षों के बाद इतनी बढ़ जाये कि एक और पाकिस्‍तान मांग लें और तुर्किस्‍तान मांग लें और कुछ ऐसी मुश्‍किलें खड़ी हो जायें। फिर पाकिस्‍तान या चीन है, जहां जनसंख्‍या पर रूकावट नहीं है। तो उसमें  अधिक लोग हो जायेंगे और पर हमला करने की चेष्‍टा रखते है। तो हमारी जनसंख्‍या कम होने से हमारी ताकत कम हो जाय। तो इसके बारे में आपके क्‍या ख्‍याल है?
    
भगवान श्री: इस संबंध में दो तीन बातें ख्‍याल में रखने की है।