प्रश्न—भारतीय
संस्कृति
बड़ी सहिष्णु
संस्कृति
रही है। बुद्ध
ईश्वर को
नहीं मानते
थे, पतंजलि ने
भी ईश्वर को
इंकार कर दिया
था। जब आप
अमेरिका में पाँच
वर्ष रहे, तब
क्या आपने इस
फर्क को देखा?
ओशो—मैंने फर्क
देखा है। फर्क
यह है कि जहां
तक चिंतन का
सवाल है, भारत
बहुत उदार और सहिष्णु
है; लेकिन
जहां सामाजिक
आचरण का सवाल
आता है, वहां
वह बड़ा कठोर
हो जाता है।
सामाजिक जीवन
के संबंध में
अमेरिका बड़ा
उदार है,
लेकिन चिंतन
आदि के बारे में
बहुत हठी और अड़ियल
है। उनके
विचारों का स्तर
देखा जाए, तो
अमेरिका के
सर्वाधिक शिक्षित
लोगों को भारत
के देहाती
लोगों की तरह
बात करते हुए
पाया है। और उन्हें
अपनी मूढ़ता
दिखाई नहीं
देती।
जब मैं
कारागृह में था
तो वहां का
जेलर मुझमें
उत्सुक हुआ।
पूरा जेल ही
मुझमें उत्सुक
था। जेलर
मुझसे मिलने
आया। काफी
पढ़ा लिखा,
अनुभवी बूढा
आदमी था। वह
बोला, मैं
आपको यह बाइबल
देने आया हूं।
ये ईश्वर के
वक्तव्य है।