प्रश्न—किसी ने ओशो से पूछा कि वह सेक्स से थक गया है।
ओशो—सेक्स थकान लाता है। इसलिए मैं तुमसे कहता हूं कि इसकी अवहेलना मत करो। जब तक तुम इसके पागलपन को नहीं जान लेते, तुम इससे छुटकारा नहीं पा सकते। जब तक तुम इसकी व्यर्थता को नहीं पहचान लेते तब तक बदलाव असंभव है।
यह अच्छा है कि तुम सेक्स से तंग आते जा रहे हो। और स्वाभाविक भी है। सेक्स का अर्थ ही यह है कि तुम्हारी ऊर्जा नीचे की और बहती है। तुम ऊर्जा गंवा रहे हो। ऊर्जा को ऊपर की और जाना चाहिए तब यह तुम्हारा पोषण करती है। तब यह शक्ति लाती है। तुम्हारे भीतर कभी न थकाने वाली ऊर्जा के स्त्रोत बहने शुरू हो जाते है—एस धम्मो सनंतनो।
लेकिन यदि लगातार पागलों की तरह सेक्स करते ही चले जाते हो तो यह ऊर्जा का दुरूपयोग होगा। शीध्र तुम अपने आपको थका हुआ और निरर्थक पाओगे। मनुष्य कब तक मूर्खताएं करता चला जा सकता है। एक दिन अवश्य सोचता है कि वह अपने साथ क्या कर रहा है। क्योंकि जीवन में सेक्स से अधिक महत्वपूर्ण और कई चीजें है। सेक्स ही सब कुछ नहीं होता। सेक्स सार्थक है परंतु सर्वोपरि नहीं रखा जा सकता है। यदि तुम इसी के जाल में फंसे रहे तो तुम जीवन की अन्य सुंदरताओं से वंचित रह जाओगे। और मैं कोई सेक्स विरोधी नहीं हूं—इसे याद रखें। इसीलिए मेरी कही बातों में विरोधाभाष झलकता है। परंतु सत्य विरोधाभासी ही होता है। मैं इसमें कुछ नहीं कर सकता। मैं बिलकुल भी सेक्स विरोधी नहीं हूं। क्योंकि जो लोग सेक्स का विरोध करेंगे वे काम वासना में फंसे रहेंगे। मैं सेक्स के पक्ष में हूं। क्योंकि यदि तुम सेक्स में गहरे चले गए तो तुम शीध्र ही इससे मुक्त हो सकते हो। जितनी सजगता से तुम सेक्स में उतरोगे। उतनी ही शीध्रता से तुम इससे मुक्ति भी पा जाओगे। और वह दिन भाग्यशाली होगा जिस दिन तुम सेक्स से पूरी तरह मुक्त हो जाओगे।
यह अच्छा ही है कि तुम सेक्स से थक गये हो। अब किसी डाक्टर के पास कोई दवा लेने मत जाना। यह कुछ भी सहायता नहीं कर पायेगी.....ज्यादा से ज्यादा यह तुम्हारी इतनी ही मदद कर सकती है कि अभी नहीं तो जरा और बाद में थकाना शुरू हो जाओगे। अगर तुम वास्तव में ही सेक्स से थक चुके हो तो यह एक ऐसा अवसर बन सकता है कि तुम इसमे से बहार छलांग लगा सको।
काम वासना में अपने आपको घसीटते चले जाने में क्या अर्थ है। इसमे से बहार निकलो। और मैं तुम्हें इसका दमन करने के लिए नहीं कह रहा हूं। यदि काम वासना में जाने की तुम्हारी इच्छा में बल हो और तुम सेक्स में नहीं जाओ तो यह दमन होगा। लेकिन जब तुम सेक्स से तंग आ चुके हो या थक चुके हो और इसकी व्यर्थता जान ली है तब तुम सेक्स को दबाए बगैर इससे छुटकारा पा सकते हो। सेक्स का दमन किए बिना जब तुम इससे बाहर हो जाते हो तो इससे मुक्ति पा सकते हो।
काम वासना से मुक्त होना एक बहुत बड़ा अनुभव है। काम से मुक्त होते ही तुम्हारी ऊर्जा ध्यान और समाधि की और प्रेरित हो जाती है।
ओशो
धम्म पद : दि वे ऑफ दि बुद्धा
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