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रविवार, 28 फ़रवरी 2010

भारत एक सनातन यात्रा—रैदास -आकाश मेुं.ध्रुवतारा

रैदास—आकाश में ध्रुवतारा
      भारत का आकाश संतों के सितारों से भरा है। अनंत-अनंत सितारे है, यद्यपि ज्‍योति सबकी एक है। संत रैदास उन सब सितारों में ध्रुवतारा है। इसलिए कि शूद्र के घर में पैदा होकर भी काशी के पंडितों को भी मजबूर कर दिया स्‍वीकार करने को। महावीर का उल्‍लेख नहीं किया ब्राह्मणों ने अपने शास्‍त्रों में। बुद्ध की जड़ें काट डाली। बुद्ध के विचार को उखाड़ फेंका। लेकिन रैदास में कुछ बात है कि रैदास को नहीं उखाड़ सके और रैदास को स्‍वीकार भी स्‍वीकार भी करना पडा।
      ब्राह्मणों के द्वारा लिखी गई संतों की स्‍मृतियों में रैदास सदा स्‍मरण किए गए। चमार के घर में पैदा होकर भी ब्राह्मणों ने स्‍वीकार किया—वह भी काशी के ब्राह्मणों ने, रैदास की बात कुछ अनेरी है, अनूठे है।
      रैदास में कुछ रस है, कुछ सुगंध है—जो मदहोश कर दे। रैदास से बहती है कोई शराब, कि जिसने पी वही डोला। और रैदास अड्डा जमा कर बैठ काशी में,जहां की सबसे कम संभावना है; जहां का पंडित पाषाण हो चुका है। सदियों का पांडित्‍य व्‍यक्‍तियों के ह्रदयों को मार डालता है। उनकी आत्‍मा को जड़ कर देता है। रैदास वहां खिले, फूले। रैदास ने वहां हजारों भक्‍तों को इकट्ठा कर लिया। और छोटे-मोटे भक्‍त नहीं, मीरा जैसी अनुभूति को उपलब्‍ध महिला ने भी रैदास को गुरू माना। मीरा ने कहां है: गुरु मिल्‍या रैदास जी, कि मुझे गुरु मिल गया है रैदास जी। भटकती फिरती थी: बहुतों में तलाशा था, लेकिन रैदास को देखा कि झुक गई। चमार के सामने राज रानी झुके तो बात कुछ रही होगी। वह कमल कुछ अनूठा रहा होगा, बिना झुके न रहा जा सका होगा।
      रैदास कबीर के गुरूभाई हैं। रैदास और कबीर दोनों एक ही संत के शिष्‍य है। रामा नंद गंगोत्री है जिनसे कबीर और रैदास की धाराएं बही है। रैदास के गुरु है रामा नंद जैसे अद्भुत व्‍यक्‍ति: और रैदास की शिष्‍या है मीरा अद्भुत नारी। इन दोनों के बीच में रैदास की चमक अनूठी है।
      रामा नंद को लोग भूल ही गए होते अगर रैदास आरे कबीर न होते। रैदास का अगर एक भी वचन न बचता और सिर्फ मीरा का यह कथन बचता: गुरु मिल्‍या रैदास जी, तो काफी था। क्‍योंकि जिसको मीरा गुरु कहे, वह कुछ ऐसे-वैसे को गुरु न कह देगी। कबीर को भी मीरा न गुरु नहीं कहा है। रैदास को गुरु कहा।
      इसलिए रैदास को में कहता हूं,भारत के संतों से भरे आकाश में ध्रुवतारा है।

ओशो—(मन ही पूजा मन ही धूप, प्रवचन—1)

2 टिप्‍पणियां:

  1. Adkil ke annt aur bhaki kalke1375 se 1700 ke vishal samay me aapko angint sant milnge.Nirgun aur sagun.Zara raskhan ka Krishan ke prati bhav dekhiy...
    Kag ke bhag kaha kahiy ,Hari hath son le gayo makhan roti...
    Raskhan muslim ho kar bhi hindu bhakto se upr uth gaye.

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