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शुक्रवार, 11 मई 2012

अन्‍ना कैरेनिना:-लियो टॉलस्टॉय-(056)

अन्‍ना कैरेनिना: लियो टॉलस्टॉय (ओशो की प्रिय पुस्‍तकें)
जीवन के शाश्‍वत, अबूझ रहस्‍यों और विरोधाभासों को सुलझाने का एक ललित प्रयास---
     अन्‍ना कैरेनिना रशियन समाज की एक संभ्रांत महिला की कहानी है। जो अनैतिक प्रेम संबंध जोड़कर अपने आपको बरबार कर लेती है। इस उपन्‍यास में टॉलस्‍टॉय कदम-कदम पर यह दिखाता है कि समाज कैसे स्‍त्री और पुरूष के विषय में दोहरे मापदंड रखता है। अन्‍ना के सगा भाई ऑब्‍लान्‍स्‍की के अनैतिक प्रेम संबंध होते है, और न केवल वह अपितु उसके स्‍तर के कितने ही पुरूष खुद तो पत्‍नी से धोखा करते है, लेकिन अपनी पत्‍नियों से वफादारी की मांग करते है। समाज चाहता है कि पत्‍नी अपने पति की बेवफाई को भूल जाये और उसे माफ कर दे।

      अन्‍ना कैरेनिना एक आकर्षक, करुणापूर्ण और गरिमा मंडित महिला है। उसके संपर्क में आने वाले सभी लोग उसका समादर करते है। उससे अभिभूत है। अन्‍ना का करिश्‍मा सभी पुरूषों पर असर करता है। सिवाय उसके पति के। उनका विवाह प्रेम-विहीन है। उनका पति संगदिल पुरूष है जिसे सामाजिक दिखावे और अपनी पद-प्रतिष्‍ठा की फिक्र अधिक है। और अन्‍ना की भावनाओं और सुख दुःख की कम।
      अन्‍ना एक दहकती हुई आग है। उसमे साहस है, और वांछित सुख को पा लेने की हिम्‍मत भी। वह उच्‍च वर्ग की स्‍त्रियों की रीति और रिवाज को ताक पर रखकर एक सेना अधिकारी ब्रॉन्‍सकी के साथ प्रेम करने लगती है। दोनों एक बॉल डांस में मिलते है, और एक दूसरे के प्रेम में पड़ जाते है। इस अवैध प्रेम की राह पर निडरता से आगे बढ़कर अन्‍ना अपने प्रेम को अपने पति के आगे कबूल करती है।
       जब वह पति को छोड़कर ब्रॉन्‍स्‍की के साथ विदेश जाती है तब अपने बेटे से बिछुड़ जाती है। पति बेटे से कहता है कि उसकी मां मर गई। बेटे के जन्‍म दिन पर वह किसी तरह चोरी छुपे पहुँचती है लेकिन उसकी खुशी कुछ पल जी पाती है क्‍योंकि उसका  पति फौरन उसे पकड़ लेता है और वहां से निकाल बाहर कर देता है। बड़े चाव से लाये हुए खिलौने भी वह अपने बच्‍चे को नहीं दे पाती है। पति अपने बेटे से कहता है, ‘’इस औरत ने इतना कुकर्म किया है कि वह उसे दुबारा नहीं देख पायेगा। वह बहुत बुरी औरत है।‘’
      अन्‍ना पति कसे तलाक लेने के लिए तरसती है। जब उसे प्‍यार का इतना बड़ा सरोवर मिला है तो वह निर्दयी पति के साथ रूखी-सूखी जिंदगी क्‍यों बीताये? लेकिन उसका पति उसे तलाक देने से इन्‍कार कर देता है। अन्‍ना उसकी प्रेमी ब्रॉन्‍स्‍की के साथ विवाह कर प्रतिष्‍ठित जीवन नहीं जी सकती। उसके पूर्व परिचित मित्र प्रियजन और समाज का प्रतिष्‍ठित वर्ग उसे व्‍यभिचारिणी कह उससे बचना चाहता है। यहां तक कि वह थियटर भी नहीं जा सकती। अन्‍ना को चारदीवारी में बंद रहकर, घुट-घुट कर अपना समय काटना पड़ता है। जब कि ब्रॉन्‍स्‍की मजे से समाज में घूमता फिरता है।
      अन्‍ना अपने प्‍यार पर सब कुछ क़ुर्बान कर देती है—घर, बेटा, प्रतिष्‍ठा। इन हालातों का असर उसके दिमाग पर होता है और वह मानसिक रोग की शिकार हो जाती है। वह सदा भयभीत रहती है, चिड़ चिड़ी और तनाव ग्रस्त हो जाती है। रिश्‍ता तनावपूर्ण हो जाता है, और ब्रॉन्‍स्‍की के प्‍यार का झरना सूख जाता है। सब तरफ से असफल, हताश अन्‍ना स्‍वयं को बदनसीब समझने लगती है। और निराशा के गहन क्षण में अपने आपको ट्राम के नीचे झोंक देती है।
      मृत्‍यु के उपरांत भी समाज उसकी भर्त्‍सना ही करता है। ब्रॉन्‍स्‍की की मां उसके बारे में कहती है : ‘’वह बदज़ात औरत थी। इतनी विवश वासना। सिर्फ कुछ असाधारण करने के चक्‍कर में उसने अपना और दो शानदार पुरूषों का विनाश कर दिया।‘’
      उसकी नन्‍हीं, ब्रॉन्‍स्‍की से पैदा हुई बेटी भी बाद में उसके पति के पास जाती है।
      अन्‍ना का अपराध इतना था कि उसने एक ऐसे पुरूष से प्रगाढ़ प्रेम किया जो उसका पति नहीं था। लेकिन रशिया के सुसंस्‍कृत, प्रतिष्‍ठित समाज ने उसे ऐसा नारकीय जीवन जीने को मजबूर कर दिया कि उससे उसे मृत्‍यु अधिक सार्थक मालूम हुई।
      टॉलस्‍टॉय ने यह उपन्‍यास उस समय लिखा जब वह रशियन समाज से वितृष्‍ण हो चुका था। उच्‍चवर्गीय समाज के नकली मूल्‍य, उनका पाखंड, उनका छिछोलापन, संस्‍कृति की गिरावट, उनका सबका सशक्‍त पारदर्शी चित्रण करने के साथ-साथ वह समाजिक समस्‍याओं का भी वर्णन करता है। जैसे किसान और जमींदार, स्‍त्री और पुरूष का भेदभाव, अन्ना कैरेनिना की मृत्‍यु की घटना के सहारे वह जीवन और मृत्‍यु की मूलभूत पहेली की दार्शनिकता भी दिखाना चाहता था।
      अन्‍ना कैरेनिना रशियन साहित्‍य की सर्वाधिक लोकप्रिय नायिकाओं में से एक है। उसका अभिभूत कर देनेवाला सौंदर्य इस गहरे और समृद्ध उपन्‍यास के वातास को धेरे रहता है। टॉलस्‍टॉय के अनुसार यह जीवन के शाश्‍वत, अबूझ रहस्‍यों और विरोधाभासों को सुलझाने का एक ललित प्रयास है। उपन्‍यास का प्रारंभ जिस वक्‍तव्‍य से होता है। वह वक्‍तव्‍य ही टॉलस्‍टॉय की गहरी अनंतदृष्टि का प्रतीक है।
      ‘’सारे सुखी परिवार एक जैसे होते है; लेकिन हर दुःखी परिवार अपने ही ढंग से दुखी होता है।‘’
      यह उपन्‍यास जिस काल में लिख गया—1875—77, उसमे समय की गति बहुत धीमी थी। लोगों के पास बहुत वक्‍त था। इसलिए 804 पृष्‍ठों की प्रदीर्घ किताब पढ़ना उनके लिए बड़ा मुश्‍किल मामला नहीं था। आज की आपाधापी में जो इतना लंबा कागजी सफर करने को तैयार हो, वही इस उपन्‍यास के संपन्‍न ताने बाने का आनंद ले सकता है।
ओशो का नजरिया:
अन्‍ना कैरेनिना : एक असाधारण किताब
      लियो टॉलस्‍टॉय की अन्‍ना कैरेनिना बहुत खुबसूरत उपन्‍यास है। तुम हैरान होओगे कि मनपसंद किताबों में मैं उपन्‍यास को क्‍यों सम्‍मिलित कर रहा हूं। क्‍योंकि मैं दीवाना हूं। मुझे अजीबोगरीब चीजें अच्‍छी लगती है। अन्‍ना कैरेनिना मेरी प्रिय किताबों में एक है। मुझे याद है मैंने उसे कितनी बार पढ़ा है।
      यदि मैं सागर में डूब रहा होऊंगा और विश्‍व के लाखों उपन्‍यासों में से मुझे एक चुनाना होगा तो मैं अन्‍ना कैरेनिना चुनूंगा। इस खूबसूरत किताब के साथ रहना सुंदर होगा। उसे बार-बार पढ़ना होगा, तो ही आप से महसूस कर सकते है। सूंघ सकते है। और स्‍वाद ले सकते है। असाधारण किताब है यह।
      लियो टॉलस्‍टॉय एक असफल संत रहा, जैसे महात्‍मा गांधी असफल संत रहे। लेकिन टॉलस्‍टॉय महान उपन्‍यासकार था। महात्‍मा गांधी ईमानदारी का शिखर बनने में सफल रहे और आखिर तक बने रहे। इस सदी में मैं किसी और आदमी को नहीं जानता जो इतना ईमानदार हो। जब वे लोगों को पत्र लिखते थे: योर्स सिंसयरली, तब वे सचमुच ईमानदार थे। जब तुम लिखते हो, ‘’सिंसयरली योर्स’’ तब तुम जानते हो, और हर कोई जानता है कि सब बकवास है। बहुत कठिन है। लगभग असंभव—बस्‍तुत: ईमानदार  होना।
      लियो टॉलस्‍टॉय ईमानदार होना चाहता था। लेकिन हो न सका। उसने भरसक कोशिश की। मुझे उसकी कोशिशों से पूरी सहानुभूति है। लेकिन यह धार्मिक आदमी नहीं था। उसे कुछ और जन्‍म रूकना होगा। एक तरह से अच्‍छा है कि वह मुक्‍तानंद जैसा धार्मिक आदमी नहीं था। नहीं तो हम ‘’रिसरेक्‍शन, वॉर एंड पीस, अन्‍ना कैरेनिना, जैसी अत्‍यंत सुंदर एक दर्जन रचनाओं से वंचित रह जाते।
ओशो
बुक्‍स आय हैव लव्‍ड    
  

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