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बुधवार, 24 अक्तूबर 2012

छोटी कथा--(कथा यात्रा)

एक बार किसी छोटे शहर में एक आगंतुक ने अनेक लोगों से वहां के नगर-प्रमुख के संबंध में पूछताछ की: आपके महापौर कैसे आदमी है?
            पुरोहित ने कहा: वह किसी काम का नहीं
            पेट्रोल-डिपो के मिस्त्री ने कहा: वह बिलकुल निकम्मा है।
            नाई ने कहा: मैंने अपने जीवन में उस दुष् को कभी वोट नहीं दिया।
            तब वह आगंतुक खुद महापौर से मिला। जो की बहुत बदनाम व्यक्ति था।
            उसने पूछा: आपको अपने काम के लिए क्या तनख्खाह मिलती है?’
            महापौर ने कहां: भगवान का नाम लो। मैं इसके लिए कोई तनख्खाह लूंगा मैं तो बस सेवा भाव से यह पद सम्हाल रखा है। इसे लोगे के प्रेम की खातिर स्वीकार किया हुआ है।
ओशो
विज्ञान भैरव तंत्र


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