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शुक्रवार, 25 अप्रैल 2025

ओशो मंडल ध्‍यान - (OSHO Mandala Meditation)

 OSHO Mandala Meditation-(ओशो मंडल ध्‍यान)

मंडल ध्‍यान और बुढ़ापा-  हां  कुछ सालों पहले मैंने एक पोस्ट लिखी थी जिस में कहां था की बुढ़ापा मनुष्‍य के पैरों से शुरू होता है और उसकी प्रक्रिया सर पर महसूस होती है। यानि की आप के मस्‍तिष्‍क  में उर्जा की गति कम से कम तर होती चली  जाती है।

मंडल ध्‍यान एक चमत्कारी ध्‍यान है। इस खास कर जिनके पैरों में या घूटनों  में दर्द रहता है जो चलने में कठिनाई महसूस करते है उन्‍हें तो जरूर करना चाहिए। मेरी समझ में ये ओशो को सम्पूर्ण  ध्‍यान है। सक्रिय ध्‍यान से शुरू करते  है, ये एक पुरूष उर्जा ध्‍यान है  जो आपकी सेक्‍स उर्जा  को  रूपांतरित करे ने में अति सहयोगी वा मददगार है, दूसरा  कुंडली  ध्‍यान ये  एक स्‍त्रेण ध्‍यान है जो आपकी नाभि  चक्र को अति संवदेनशील करने में आपको भय मुक्‍त करने में सहयोगी होगा। एक ध्‍यान है गोरी शंकर जो तीसरी आंख के लिए अति उत्तम है।

परंतु मंडल ध्‍यान तो एक चमत्कारी ध्‍यान है। वह सेक्‍स सेंटर , नाभि चक्र व तीसरी आँख के लिए अकेला ही परिपूर्ण  है। एक बात उसमें ये बहुत गहरी है कि वह चक्रों के साथ इस स्‍थूल शरीर को भी उतना ही स्‍वास्‍थ करता है। जैसे पैर, नाभि, और आपकी आंखें। इस लिए ये ध्‍यान आपको कम से कम तीन माह कर के इस के प्रणाम देखने चाहिए।

प्रत्येक वर्तुल का एक केंद्र होता है। इस ऊर्जावान और शक्तिशाली ध्यान-विधि के प्रथम तीन चरणों में उद्देश्य है केंद्र पर स्थित होना। और उसके बाद चौथे चरण में विश्रांति।

यह ध्यान ओशो मंडल मेडिटेशन के विशेष संगीत के साथ किया जाता है, जो कि अलग-अलग चरणों को इंगित करता है और ऊर्जागत रूप से उनमें सहयोगी होता है।

संगीत की उपलब्धता के लिए, नीचे लिंक देखें।

निर्देश:

घंटे भर के इस शक्तिशाली ध्यान में पंद्रह-पंद्रह मिनट के चार चरण हैं। पहला चरण खड़े होकर करना है; दूसरा बैठकर; तीसरा और चौथा सर्वथा निष्क्रिय होकर। सूर्योदय के बाद या सूर्यास्त के पहले, इसे कभी भी किया जा सकता है। यह एक घंटे का ध्यान है और इसमें चार चरण हैं। तीन बार घंटी की आवाज के साथ ध्यान समाप्त होता है।

पहला चरण: 15 मिनट

आंखें खुली रख कर एक ही स्थान पर खड़े रह कर दौड़ना शुरू करें। घुटनों को जितना हो सके ऊपर उठाएं। श्वास को गहरा और सम रखें। दौड़ते ही रहें। दौड़ते ही रहे। एक उर्जा देता  संगीत साथ में आप को सहयोग देता रहेगा।

इससे ऊर्जा भीतर घूमने लगेगी।

दूसरा चरण: 15 मिनट

आंखें बंद कर बैठ जाएं। मुंह को शिथिल और खुला रखें। कमर से ऊपर के शरीर को झूमने दें--जैसे कि हवा में बेंत के पौधे झूमते हैं--बाएं-दाएं, आगे-पीछे और चारों ओर, जैसे भी हो। इससे भीतर जागी ऊर्जाएं नाभि-केंद्र पर एकत्र हो जाएंगी।

 

तीसरा चरण: 15 मिनट

पीठ के बल लेट जाएं, सिर को स्थिर रखें। आंखें खोल लें और उन्हें बाएं से दाएं घड़ी के कांटे की दिशा में वृत्ताकार घुमाएं। पुतलियों को आंखों में पूरा वृत्ताकार घुमाएं, जैसे कि वे एक विशाल घड़ी के सेकेंड की सुई का अनुसरण कर रही हों। धीरे-धीरे शुरू करें, और तब क्रमशः गति को और-और तेज करते जाएं। मुंह खुला रहे और जबड़े शिथिल रहें। श्वास कोमल एवं सम बनी रहे। इससे आपकी केंद्रित ऊर्जाएं तीसरी आंख पर आ जाएंगी।

 

चौथा चरण: 15 मिनट

आंखें बंद कर निष्क्रिय हो रहें।

नोट:

(पहले चरण की जॉगिंग जिनके लिए अत्यधिक कठिन हो उनके लिए एक विकल्प है। यह विकल्प ‘‘साइक्लिंग’’ है। पीठ के बल जमीन पर लेट जाएं और अपने पैरों को साइकिल की तरह चलाएं। इस जॉगिंग के विकल्प की तरह उपयोग किया जा सकता है।)

 

 

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