भारत मेरा प्यार -( India My
Love) –(का हिंदी अनुवाद)-ओशो
07 - कोपलें फिर फूट आयें, - (अध्याय -12)
इस
देश में ध्यान कभी नहीं मरा। कभी ज़मीन के ऊपर, कभी ज़मीन के नीचे, लेकिन इसकी नदी
निरंतर, अनंत काल तक बहती रही है। यह आज भी बहती है, कल भी बहती रहेगी - और यही मनुष्य
के लिए एकमात्र आशा है। क्योंकि जिस दिन ध्यान मर जाएगा, मनुष्य भी मर जाएगा। मनुष्य
की वास्तविकता ध्यान है। आप इसके बारे में जानते हों या नहीं, आप इसे जानते हों या
नहीं, लेकिन ध्यान आपका आंतरिक केंद्र है। जो आपकी सांसों में छिपा है, जो आपकी धड़कनों
में छिपा है, जो आप हैं, वह ध्यान के अलावा और कुछ नहीं है।
.......इस
देश ने दुनिया को अगर कुछ दिया है, अगर कोई योगदान दिया है, तो वो सिर्फ़ ध्यान है।
फिर चाहे पतंजलि के रूप में हो या महावीर के रूप में हो या बुद्ध के रूप में हो या
कबीर के रूप में हो या नानक के रूप में हो - नाम भले ही बदलते रहे हों लेकिन योगदान
नहीं बदला है। अलग-अलग लोगों के ज़रिए, अलग-अलग आवाज़ों के ज़रिए हम दुनिया को सिर्फ़
एक ही आह्वान करते रहे हैं, और वो है ध्यान का।
ओशो
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