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बुधवार, 26 जनवरी 2011

महात्‍मा गांधी और हरिदास—

  आप क्‍यों सुधारने के लिए इतने दीवाने है। ओर अगर किसी ने नही सुधरना है तो आप  कुछ भी नहीं कर सकते हो। इस दुनियां में किसी को जबरदस्‍ती ठीक करने का कोई उपाय नही है। जबरदस्‍ती ठीक करने की कोशिश उसको ओर जड़ कर सकती  है। कई बार तो बहुत अच्‍छे बाप भी बहुत बुरे बेटों के कारण हो जाते है। महात्‍मा गांधी के लड़के सुधारने का बदला लिया है। अब महात्‍मा गांधी से अच्‍छा बाप पाना मुश्‍किल है। बहुत कठिन है। अच्‍छा बाप का जो भी अर्थ हो सकता है, वह महात्‍मा गांधी में पूरा है। लेकिन हरिदास के लिए बुरे बाप सिद्ध हुए। क्‍या कठिनाई हुई?
      यह बड़ी मनोवैज्ञानिक घटना है। और इस सदी के लिए विचारणीय है। और हर बाप के लिए विचारणीय हे। क्‍योंकि गांधी जी कहते थे, हिंदू-मुसलमान सब मुझे एक है। लेकिन हरिदास अनुभव करता था कि यह बात झूठ है। यह बात है; फर्क तो हे। क्‍योंकि गांधी गीता को कहते थे माता; कुरान को नहीं कहते थे। और गांधी गीता और कुरान को भी एक बताते है, तो गीता में जो कहा है अगर वही कुरान में कहा है, तब तो ठीक है; और जो कुरान में कहा है और गीता में नहीं कहा, उसको बिलकुल छोड़ जाते है। उसकी बात ही नहीं करते। तो कुरान में भी गीता को ही ढूंढ़ लेते है। तभी कहते है ठीक हे; नहीं तो नहीं कहते है।
      हरिदास मुसलमान हो गया; हरिदास गांधी सक वह हो गया अब्‍दुल्‍ला गांधी। गांधी को बड़ा सदमा पहुंचा। और उन्‍होंने कहा अपने मित्रों को कि मुझे दुःख हुआ। जब हरिदास को पता लगा तो उसने कहा, इसमें दुःख की क्‍या बता? हिंदू-मुसलमान सब एक है।
      यह बाप देखते है? यह बाप ने ही धक्‍का दे दिया अनजाने। और हरिदास ने कहा, जब दोनों एक है तो फिर क्‍या दुःख की बात है? हिंदू हुए की मुसलमान, अल्‍ला-ईश्‍वर तेरे नाम, सब बरा बार,तो हरिदास गांधी कि अब्‍दुल्‍ला गांधी इसमें पीड़ा क्‍या है?
      मगर पीड़ा गांधी को हुई।
      गांधी स्‍वतंत्रता की बात करते है, लेकिन अपने बेटों पर बहुत सख्‍त थे, और सब तरह की परतंत्रता बना रखी थी। तो जो-जो चीजें गांधी ने रोकी थी, वह-वह हरिदास ने की। मांस खाया,शराब पी...वह-वह किया। क्‍योंकि अगर स्‍वतंत्रता है तो फिर इसका मतलब क्‍या होता है स्‍वतंत्रता का? यह मत करो, वह मत करो, यह कैसी स्‍वतंत्रता।
      क्‍या मतलब हुआ? स्‍वतंत्रता है पूरी और सब तरह की परतंत्रता नियम की बाँध दी—इतने बजे उठो, और इतने बजे सौ वो। और इतने वक्‍त प्रार्थना करो, और इतने वक्‍त.....। और यह खाओ और यह मत खाओ और मत पीओ। सब तरह के जाल कस दिये। और स्‍वतंत्रता है पूरी। तो हरिदास ने जो-जो गांधी ने रोका था। वह-वह किया।
      अगर कहीं कोई अदालत है तो उसमें हरिदास अकेला नहीं फंसेगा। कैसे अकेला? क्‍योंकि उसमें जिम्‍मेवार गांधी भी है। बाप भी है।
      ध्‍यान रखना,अगर बेटा आपका फंसा, तो आप बच न सकोगे। इतना ही कर लो कि बेटा ही अकेला फंसे, तुम बच जाओ,तो भी बहुत है। हटा लो हाथ आपने दूर और बेटे को कह दे जो तुझे लगे। वहीं कर। अगर तुझे दुःख भोगना ही ठीक लगता है तो ठीक हे। दुःख भोग। अगर तुझे पीड़ा ही उठाना तेरा चुनाव है, तो तुझे स्‍वतंत्रता है, तू पीड़ा ही उठा। हमें पीड़ा होगी तुझे पीड़ा होगी तुझे पीड़ा में देख कर। लेकिन वह हमारी तकलीफ है। उसका फल हम भोगेंगे।
      अगर मुझे दुःख होता है कि मेरा बेटा शराब पीता है। तो यह मेरा मोह है कि में उसे मेरा बेटा मानता हूं। इसलिए दुःख पाता हूं। इसमें उसका क्‍या कसूर है। मेरा बेटा जेल चला जाता है तो मुझे दुख होता है। क्‍योंकि मेरे बेटे के जेल जाने से मेरे अहंकार को चोट लगती है।
      और आप अपने को बदलने में लगें। जिस दिन आप बदलेंगे, उस दिन आपका बेटा ही नहीं, दूसरों के बेटे भी आपके पास आकर बदल सकते है।

ओशो
ताओ उपनिषाद, भाग-3
प्रवचन—64

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