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शुक्रवार, 25 मार्च 2011

02-सुखे पत्ते कहीं खडकते-(कविता)

सुखे पत्ते कहीं खडकते, तेरी याद में यहां तडपते।
बगियां में उपवन का मौसम लेकिन हम तो कांटे चुनते।।

01—अषाढ बितगया बिता सावन, प्रितम को ले आ मनभावन।
झुंगुर बोले दिल को छोले, पीडा से भर गया है दामन।
आस तेरी में थक गई अंखियां, चैन कही न पाता ये मन।
जीवन रूकता सा लगता है, जीवन के दिन नहीं सरकते।
तेरी याद में यहां तडपते.....

मनसा

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