सुखे पत्ते कहीं खडकते, तेरी याद में यहां तडपते।
बगियां में उपवन का मौसम लेकिन हम तो कांटे चुनते।।
01—अषाढ बितगया बिता सावन, प्रितम को ले आ मनभावन।
झुंगुर बोले दिल को छोले, पीडा से भर गया है दामन।
आस तेरी में थक गई अंखियां, चैन कही न पाता ये मन।
जीवन रूकता सा लगता है, जीवन के दिन नहीं सरकते।
तेरी याद में यहां तडपते.....
बगियां में उपवन का मौसम लेकिन हम तो कांटे चुनते।।
01—अषाढ बितगया बिता सावन, प्रितम को ले आ मनभावन।
झुंगुर बोले दिल को छोले, पीडा से भर गया है दामन।
आस तेरी में थक गई अंखियां, चैन कही न पाता ये मन।
जीवन रूकता सा लगता है, जीवन के दिन नहीं सरकते।
तेरी याद में यहां तडपते.....
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