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शुक्रवार, 10 सितंबर 2010

सात शरीर और सात चक्र— 4

चौथा शरीर—अनाहत चक्र

      चौथा शरीर है; यह ह्रदय के पास है, हमारा मेंटल बॉडी, मनस शरीर—साइक। इस चौथे शरीर के साथ हमारे चौथे चक्र का संबंध है अनाहत का। चौथा जो शरीर है, मनस इस शरीर का जो प्राकृतिक रूप है, वह है कल्‍पना—इमेजिनेशन, स्‍वप्‍न–ड्रीमिंग। हमार मन स्‍वभावत: यह काम कल्‍पना करता रहता है। और सपने देखता रहता है। रात में भी सपने देखता है, दिन में भी सपने देखता है—और कल्‍पना करता रहता है। इसका जो चरम विकासित रूप है........
      अगर कल्‍पना पूरी तरह से, चरम रूप से विकसित हो, तो संकल्‍प बन जाती है। विलबन जाती है; और अगर ड्रीमिंग (स्‍वप्‍न की क्षमता) पूरी तरह विकसित हो तो विजन (अतींद्रिय-दर्शन) बन जाती है। तब वह साइकिक विजन हो जाती है।
      अगर किसी व्‍यक्‍ति की स्‍वप्‍न देखने की क्षमता पूरी तरह से विकसित होकर रूपांतरित हो, तो वह आँख बंद करके भी चीजों को देखना शुरू कर देता है। सपना नहीं देखता तब वह चीजों को ही देखना शुरू कर देता है। वह दिवाल के आर पार भी देख सकता है। अभी तो दीवाल के पास का सपना ही देख सकता था। लेकिन तब दीवाल के पास भी देख सकता है। अभी तो आप क्‍या सोच रहे होंगे, यह सोच सकता है; लेकिन तब आप क्‍या सोच रहे है, वह देख सकता है। विजनका मतलब यह है कि इंद्रियों के बिना अब उसे चीजें दिखाई देती है।
      सपने में भी आप जाते है.....सपने में आप बंबई में है, कलकत्‍ता जा सकते है। और विजन में भी जा सकते हैं, लेकिन दोनों में फर्क होगा। सपने में सिर्फ ख्‍याल है कि आप कलकत्‍ता गये, और विजन में आप चले ही जायेंगे। वह जो चौथी साइकिक बॉडी (मनस शरीर) वह मौजूद हो सकता है।
      इसलिए पुराने जगत में जो सपने के संबंध में ख्‍याल था, वह धीरे-धीरे छूट गया और समझदार लोगों ने उसे इनकार कर दिया; क्‍योंकि हमें चौथे शरीर की चरम संभावना का कोई पता नहीं रहा। सपने के संबंध में पुराना अनुभव यही था कि सपने में आदमी का कोई एक शरीर निकल कर बहार चला जाता है यात्रा पर।
      स्‍वीडेन बर्ग नाम का एक आदमी था। उसे लोग सपना देखनेवाला आदमी ही समझते थे। क्‍योंकि वह स्‍वर्ग नर्क की बातें भी करता था। और स्‍वर्ग-नर्क की बातें सपना ही हो सकती है। लेकिन एक दिन दोपहर वह सोया था और उसने दोपहर में एक दम से निंद में चिल्‍लाने लगा बचाओ-बचाओ, आग लग गई। कोई बचाओ आग लग गई। घर के लोग आ गये। वहां कोई आग नहीं लगी थी। और उसको उन्‍होंने जगाया और कहां कि तुम नींद में हो या सपना देख रहे हो। आग तो कहीं भी नहीं लगी है। उसने कहा—नहीं,मेरे घर में आग लग गई है। तीन सौ मील उसका घर, लेकिन उसके घर में उस वक्‍त आग लग गई थी। दूसरे तीसरे दिन तक खबर आयी कि उसका घर जलकर बिलकुल राख हो गया है। और जब वह सपने में चिल्‍ला रहा था, उसी वक्‍त उसके घर में आग लगी थी। अब यह सपन न रहा, यह विजन बन गया। अब तीन सौ मील का जो फासला था वह गिर गया और इस आदमी ने तीन सौ मील दूर जो हो रहा था वह देखा।
विज्ञान के समक्ष अतीद्रिय घटनाएं—
      अब तो वैज्ञानिक भी इस बात के लिए राज़ी हो गये है कि चौथे शरीर की बड़ी साइकिक संभावनाएं है। और चूंकि स्‍पेस ट्रैवल (अंतरिक्ष यात्रा) की वजह से उन्‍हें बहुत समझकर काम करना पड़ रहा है; क्‍योंकि आज नहीं कल, यह कठिनाई खड़ी हो जाने ही वाली है कि जिन यात्रियों को हम अंतरिक्ष की यात्रा पर भेजेंगे—मशीन कितनी ही भरोसे की हो फिर भी भरोसे की नहीं है—अगर उनके यंत्र जरा भी बिगड़ गये......उनके रेडियों यंत्र....तो हमसे उनका संबंध सदा के लिए टूट जायेगा। फिर वे हमें खबर भी न दे पायेंगे कि वे कहां पर है। और उनका क्‍या हुआ? इसलिए वैज्ञानिक इस समय बहुत उत्‍सुक है कि साइकिक, चौथे शरीर का अगर विजन का मामला संभव हो सकें, अगर टेलीपैथी का मामला संभव हो सके....वह भी चौथे शरीर की आखरी संभावनाओं का एक हिस्‍सा है...कि अगर वे यात्रा बिना रेडियों यंत्रों के हमें सीधी टेलीपैथी खबर दे सकें तो कुछ बचाव हो सकता है। इस पर काफी काम हुआ है।
      आज से कोई तीस साल पहले एक यात्री उतरी ध्रुव की खोज पर गया। तो रेडियो-यंत्रों की व्‍यवस्‍था थी जिनसे वह खबर देता, लेकिन एक और व्‍यवस्‍था थी जो अभी-अभी प्रगट हुई है। और वह व्‍यवस्‍था यह थी कि एक साइकिक आदमी को, एक ऐसे आदमी को जिसके  चौथे शरीर की दूसरी संभावनाएं काम करतीं थी। उसको भी नीयत किया गया था कि वह उसको भी खबरें दे।
      और बड़े मजे की बात यह है कि जिस दिन पानी,हवा, या मौसम खराब होता और रेडियों से खबरें न मिलती, उस दिन भी उसे तो खबरें मिलती। और जब पीछे डायरी मिलायी गयी तो कम से कम अस्‍सी से पंचानवे प्रतिशत के बीच उसके जो साइकिक आदमी ने जो माध्‍यम की तरह ग्रहण की थीं, वे सही थी। और मजा यह है कि रेडियों ने जो खबर दी थी, वह भी बेहतर प्रतिशत से ज्‍यादा ठीक नहीं थी। क्योंकि इस बीच कभी कुछ गड़बड़ हुई,कभी कुछ हुई, तो बहुत सी चीजें छूट गयी थी। और अभी तो रूस और अमरीका दोनों अति उत्‍सुक है उन संबंध में। इसलिए टेलीपैथी (विचार संप्रेषण) और कलैरवांयस (दूरदर्शन) ओरथॉट-रीडिंग (विचार पठन) और थॉट प्रोजैक्शन (विचार संप्रेषण) इन पर बहुत काम चलता है। वह हमारे चौथे शरीर की संभावना है। स्‍वप्‍न देखना उसकी प्राकृतिक संभावना है; सत्‍य देखना, यथार्थ देखना, उसकी चरम संभावना है। वह अनाहत हमारा चौथा चक्र है।
--ओशो
जिन खोजा तिन पाइयां,
प्रश्‍नोत्‍तर चर्चाएं, बंबई,
प्रवचन--8

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