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शुक्रवार, 6 दिसंबर 2019

मेरी प्रिय पुस्तकें-(सत्र-13)

मेरी प्रिय पुस्तकें-ओशो

सत्र-तेहरवां

आज की पहली पुस्तक है: इरविंग स्टोन की ‘लस्ट फॉर लाइफ’--‘जीवेषणा।’ यह विनसेंट वानगॉग के जीवन पर आधारित एक उपन्यास है। स्टोन ने  इतना अदभुत कार्य किया है कि मुझे याद नहीं आता कि किसी और ने इस तरह का कार्य किया हो। किसी ने भी किसी दूसरे व्यक्ति के बारे में इतनी अंतरंगता से नहीं लिखा है, जैसे कि वह अपने ही खुद के अस्तित्व के बारे में लिख रहा हो।
‘लस्ट फॉर लाइफ’ मात्र एक उपन्यास नहीं है, यह एक आध्यात्मिक पुस्तक है। मेरे अर्थ में यह आध्यात्मिक है, क्योंकि मेरी दृष्टि में कोई केवल तभी आध्यात्मिक हो सकता है जब जीवन के सभी आयाम एक साथ संयुक्त हों। यह पुस्तक इतनी खूबसूरती से लिखी गई है कि इरविंग स्टोन स्वयं कभी इससे बेहतर लिख पाएगा इसकी दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं है।
इस पुस्तक के बाद उसने कई और पुस्तकें लिखी हैं, और आज की मेरी दूसरी पुस्तक भी इरविंग स्टोन की ही है। मैं इसे दूसरी गिन रहा हूं, क्योंकि यह दूसरे दर्जे की है, ‘लस्ट फॉर लाइफ’ की गुणवत्ता की नहीं है। यह है ‘दि एगोनि एंड एक्सटेसी’--‘पीड़ा और आनंद’, यह भी उसी तरह की है--दूसरे व्यक्ति के जीवन पर आधारित।
शायद स्टोन सोच रहा था कि वह ‘लस्ट फॉर लाइफ’ जैसी एक और पुस्तक रचने में सक्षम हो जाएगा, लेकिन वह असफल रहा। हालांकि वह असफल रहा है, परंतु पुस्तक दूसरे नंबर पर है--किसी दूसरे की तुलना में नहीं, बल्कि उसकी अपनी ही तुलना में। कलाकारों, कवियों, चित्रकारों के जीवन पर लिखित उपन्यास सैकड़ों हैं, लेकिन उनमें से कोई भी इस दूसरी पुस्तक की ऊंचाई छू नहीं सकता, फिर पहली पुस्तक की तो बात ही क्या करना। दोनों ही सुंदर हैं, लेकिन पहली की सुंदरता श्रेष्ठतम है।
दूसरी पुस्तक थोड़ी छोटे दर्जे की है, लेकिन इसमें इरविंग स्टोन की कोई गलती नहीं है। जब तुम्हें पता हो कि तुम ‘लस्ट फॉर लाइफ’ जैसी किताब लिख चुके हो, तो साधारण मानव प्रवृत्ति यह होती है कि वह उसकी ही नकल करे, उसी जैसी कुछ और बनाए, लेकिन जब तुम नकल करते हो, तब वह उसी जैसी नहीं हो सकती है। जब उसने ‘लस्ट’ लिखी थी तब वह नकल नहीं कर रहा था, वह निर्दोष, नया-नया था। जब उसने ‘दि एगोनी एंड एक्सटेसी’ लिखी थी, वह अपनी ही नकल कर रहा था, और यह सबसे खराब नकल थी। सभी लोग अपने बाथरूम में यह करते हैं, आईने में देखते हुए... उसकी दूसरी पुस्तक के बारे में ऐसा ही लगता है। लेकिन मैं कहता हूं, हालांकि यह आईने में एक प्रतिबिंब भर है, फिर भी यह वास्तविकता को प्रतिबिंबित करती है; इसलिए मैं इसे शामिल कर रहा हूं।
बस मैं गुडिया से पूछ रहा था कि ‘दि एगोनी एंड एक्सटेसी’ में इरविंग स्टोन ने किसके बारे में लिखा था, क्योंकि जहां तक मेरा संबंध है मैं पूरी तरह भूल गया हूं। जो कि यह बहुत दुर्लभ है, मैं आसानी से भूलता नहीं हूं। मैं आसानी से क्षमा कर देता हूं, लेकिन मैं आसानी से भूलता नहीं हूं। किसके जीवन के बारे में उसने लिखा था, क्या तुम्हें पता है, देवराज? क्या गौगुइन के जीवन के बारे में?
‘‘यह माइकलएंजलो के जीवन के बारे में है, ओशो।’’
माइकलएंजलो? एक महान जीवन। तब तो स्टोन बहुत कुछ चूक गया है। यदि गौगुइन के बारे में होता तब तो ठीक था, लेकिन यदि माइकलएंजलो के बारे में है, तब तो मुझे दुख है; मैं भी उसे क्षमा नहीं कर सकता। लेकिन वह सुंदरता से लिखता है। उसका गद्य काव्य की तरह है, हालांकि दूसरी पुस्तक ‘लस्ट फॉर लाइफ’ जैसी गुणवत्ता की नहीं है। यह हो नहीं सकती, उसका सीधा सा कारण है कि वानगॉग जैसा कोई दूसरा आदमी कभी हुआ ही नहीं। यह डच आदमी तो बस अपने आप में अनोखा था! वह अकेला खड़ा है। सितारों भरे पूरे आकाश में वह अकेला चमकता है--बिलकुल अलग, अनोखे रूप में अपने ही ढंग से। उस पर महान पुस्तक लिखना सरल है, और माइकलएंजलो के बारे में भी ऐसा ही है, लेकिन स्टोन खुद की नकल करने की कोशिश कर था; इसलिए वह चूक गया। कभी भी नकल मत करना। किसी के पीछे मत चलना...अपने पीछे भी नहीं।

मात्र होना
क्षण-प्रतिक्षण
बिना जाने
कौन हो तुम...
और कहां हो तुम।
यही अर्थ है,
मेरे शिष्य होने का।

बेचारी चेतना, मैंने उससे कह रखा है कि मेरे कपड़े बर्फ जैसे सफेद होने चाहिए। वह मेरे कपड़े धोती है। जो भी वह कर सकती है करती है, जो भी संभव है।
आज मैं बहुत प्रसन्न हूं जैसे कि मैं फिर से हिमालय में हूं। मैं हिमालय में मरना चाहता था, जैसा कि लाओत्सु ने किया। हिमालय का जीवन तो अदभुत है ही, हिमालय में मरना तो और भी अदभुत है। बर्फ, जहां कहीं भी है, हिमालय की पवित्रता का प्रतिनिधित्व करती है, उसके कुंआरेपन का... कल कभी नहीं आता है, इसलिए चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। मेरे साथ हमेशा आज है, और इस क्षण हम हिमालय की दुनिया में हैं।
माइकलएंजलो को सफेद संगमरमर जरूर पसंद होगा; उसने इसी से जीसस की एक प्रतिमा बनाई है। कोई अन्य व्यक्ति इस तरह की सुंदर प्रतिमा नहीं बना पाया है, इसलिए स्टोन के लिए माइकलएंजलो के बारे में एक सुंदर कहानी लिखना कठिन नहीं था। लेकिन वह बात को चूक गया, सिर्फ इसलिए कि वह अपनी ही नकल कर रहा था। काश, वह अपनी पहली पुस्तक को भूल गया होता, तो वह एक और ‘लस्ट फॉर लाइफ’ जैसी पुस्तक की रचना कर सकता था।

तीसरी: लियो टाल्सटाय की ‘रिसरेक्शन।’ अपने पूरे जीवन भर लियो टाल्सटाय जीसस से प्रभावित रहा, अत्यधिक प्रभावित रहा, उसी वजह से यह शीर्षक ‘रिसरेक्शन’ आया। और लियो टाल्सटाय ने वास्तव में कला की एक अदभुत रचना प्रस्तुत की है। मेरे लिए यह बाइबिल की तरह है। मुझे अभी भी याद है, जब मैं युवा था तो सदा टाल्सटाय की ‘रिसरेक्शन’ अपने साथ लिए रहता था। मेरे पिता भी चिंतित हो गए। एक दिन उन्होंने मुझसे कहा: ‘‘पुस्तक पढ़ना तो ठीक है, लेकिन पूरे दिन इस पुस्तक को अपने साथ क्यों लिए रहते हो? तुम तो इसे पढ़ चुके हो?’’
मैंने कहा: ‘‘हां, मैं इसे पढ़ चुका हूं, और केवल एक बार नहीं, बल्कि कई बार, लेकिन फिर भी मैं इसे अपने साथ रखता हूं।’’
मेरा पूरा गांव इस बात को जानता था कि मैं ‘रिसरेक्शन’ नाम की एक खास पुस्तक हमेशा अपने साथ रखता हूं। वे सब समझते थे कि मैं पागल हो गया हूं--और एक पागल आदमी कुछ भी कर सकता है। लेकिन मैं पूरे दिन ‘रिसरेक्शन’ क्यों लिए रहता था?--और न केवल दिन भर, लेकिन रात के दौरान भी यह पुस्तक मेरे बिस्तर के पास रखी रहती थी। मुझे यह बहुत पसंद थी... जिस तरह से लियो टाल्स्टाय ने जीसस के पूरे संदेश को प्रकट किया है। लियो टाल्स्टाय जीसस के मुख्य शिष्यों की तुलना में किसी से भी कहीं अधिक सफल रहा है, थॉमस को छोड़ कर--और उसके बारे में मैं ‘रिसरेक्शन’ के तुरंत बाद चर्चा करने वाला हूं।
जिन चार गॉस्पल्स को, जिन चार उपदेशों को बाइबिल में विशेष रूप से शामिल किया गया है उनमें जीसस की आत्मा नहीं है, बिलकुल खो गई है। ‘रिसरेक्शन’ कहीं बेहतर है। टाल्सटाय सचमुच जीसस से प्रेम करता था और प्रेम जादू है, विशेषकर इसलिए, क्योंकि जब तुम किसी के प्रेम में होते हो तो समय मिट जाता है। टाल्सटाय ने जीसस से इतना प्रेम किया कि वे दोनों समकालीन हो गए हैं। अंतर बड़ा है, दो हजार साल का, लेकिन जीसस और टाल्सटाय के बीच वह मिट जाता है। ऐसा मुश्किल से ही होता है, बहुत, बहुत मुश्किल से, इसीलिए मैं यह पुस्तक अपने हाथ में लिए रहता था। हालांकि अब मैं इसे अपने हाथ में नहीं रखता, लेकिन यह अभी भी मेरे हृदय में है।

चौथी: पांचवां गॉस्पल। यह बाइबिल में शामिल नहीं है; अभी कुछ समय पहले ही मिश्र में इसे खोजा गया: थॉमस द्वारा लिखित ‘नोट्‌स ऑन जीसस।’ मैं इस पर बोल चुका हूं, क्योंकि मैं एकदम इसके प्रेम में पड़ गया था। थॉमस, अपनी ‘नोट्‌स ऑन जीसस’ में इतना सरल है कि वह गलत नहीं हो सकता। वह इतना सुस्पष्ट है, इतना सहजस्फूर्त, कि वह है ही नहीं, बस जीसस ही हैं।
क्या तुम्हें पता है कि थॉमस भारत पहुंचने वाला जीसस का पहला शिष्य था? भारतीय ईसाइयत दुनिया में सबसे पुरानी है, वेटिकन से भी पुरानी। और थॉमस का शरीर अभी भी गोवा में सुरक्षित रखा हुआ है--अजीब जगह है, लेकिन सुंदर है, बहुत सुंदर। इसीलिए बाहर से आने वाले सभी हिप्पीस गोवा की ओर आकर्षित होते हैं। दूसरी कोई जगह नहीं है...कोई और समुद्र-तट गोवा की तरह साफ और सुंदर नहीं हैं।
थॉमस का शरीर अभी भी सुरक्षित रखा हुआ है, और यह एक चमत्कार है कि यह कैसे सुरक्षित है। अब हम जानते हैं कि कैसे एक शरीर को बर्फ की भांति जमा कर सुरक्षित रखा जाता है, लेकिन थॉमस का शरीर फ्रोजन, जमा हुआ नहीं है; कोई पुरानी विधि है जिसका उपयोग मिस्र में, तिब्बत में किया जाता था, लगता है यहां पर भी उसी विधि का उपयोग किया गया है। ऐसे रसायनों का उपयोग किया गया है--वैज्ञानिक जिन्हें अभी तक खोजने में सफल नहीं हुए हैं...या फिर पता नहीं किन्हीं रसायनों का उपयोग किया गया भी है या नहीं। वैज्ञानिक तो महान हैं! वे चांद तक पहुंच सकते हैं, लेकिन वे एक ऐसा फाउंटेन पेन नहीं बना सकते जो लीक न करता हो! छोटी-छोटी चीजों में वे असफल होते हैं।
मैं कोई वैज्ञानिक नहीं हूं। कल, जब मैंने कहा कि ‘‘ठीक है,’’ वह ठीक नहीं था। मैंने बस यूं ही कह दिया था, क्योंकि मुझे तुमसे प्रेम है और मैं किसी परेशानी का कारण नहीं बनना चाहता था। मैं मशीनरी या रसायन विज्ञान के बारे में कुछ भी नहीं जानता हूं, मैं बस स्वयं को जानता हूं। जब मेरे चारों ओर सब-कुछ पूरी तरह से अच्छा चल रहा होता है तो मैं समाधि में रहता हूं। उस समाधि के माध्यम से मैं जानता हूं कि सब-कुछ पूरी तरह से अच्छा चल रहा है। अगर कुछ गलत है, मुझे फिर से नीचे आना पड़ता है।
नीचे आने की पूरब की पूरी धारणा मैं तुम्हें समझाता हूं। कोई व्यक्ति केवल तभी जन्म लेता है जब कुछ गलत है...अगर उसके साथ कुछ गलत है। यदि कुछ भी गलत नहीं है, वह जन्म नहीं लेता; वह मूलस्रोत में लौट जाता है, ब्रह्मांड में विलीन हो जाता है।
परसों सारा काम पूरी तरह से अच्छा चल रहा था। कल ऐसा नहीं हुआ था। पहले मैंने कहा ‘‘ठीक है;’’ वह सच नहीं था। लेकिन मैं झूठ बोल सकता हूं क्योंकि मुझे तुमसे प्रेम है--मैं तुम्हें निराश नहीं करना चाहता था। अंत में भी मैंने कहा, ‘‘बहुत अच्छा, अब इसे खत्म कर सकते हो।’’ लेकिन खत्म करने के लिए कुछ था ही नहीं, क्योंकि यह शुरू भी नहीं हुआ था। यह मैं तुमसे कहना चाहता हूं इसलिए कि फिर से इसे दोहराना न पड़े। कृपया मुझे झूठ बोलने के लिए मजबूर मत करो। मैं ब्रिटिश नहीं हूं, न ही एक अंग्रेज हूं; शिष्टाचारवश भी मेरे लिए झूठ बोलना मुश्किल है, सचमुच में झूठ बोलना मुश्किल है। मेरी सहायता करो ताकि मैं सच बोल सकूं। इस क्षण वास्तव में सब-कुछ सुंदर चल रहा है, और मैं एक अंग्रेज की तरह नहीं कह रहा हूं--वास्तव में सुंदर... तुम मुझे जानते ही हो, फुसलाने वाला।

पांचवीं--लियो टाल्स्टाय द्वारा लिखित एक और पुस्तक। दुनिया की सभी भाषाओं में श्रेष्ठतम पुस्तकों में से एक: ‘वॉर एंड पीस’--‘युद्ध और शांति।’ न केवल श्रेष्ठतम बल्कि बहुत बड़ी भी...हजारों पेज। मुझे नहीं पता कि मुझे छोड़ कर कोई भी इस तरह की पुस्तकें पढ़ता हो। वे इतनी बड़ी हैं, इतनी विशाल कि तुम्हें डरा ही देती हैं।
लेकिन टाल्सटाय की पुस्तक को विशाल होना ही है, यह उसकी गलती नहीं है। ‘वॉर एंड पीस’ मानव चेतना का पूरा इतिहास है...पूरा इतिहास; यह कुछ पेजों पर नहीं लिखा जा सकता है। हां, हजारों पेजों को पढ़ना मुश्किल है, लेकिन यदि कोई पढ़ सके तो वह किसी और ही दुनिया में पहुंच जाता है। उसे एक अति उत्तम रचना का स्वाद मिल जाएगा। हां, यह एक अति उत्तम रचना है।

छठवीं: ऐसा लगता है आज मैं रूसी लोगों से घिरा हुआ हूं। छठवीं है मैक्सिम गोर्की की ‘दि मदर।’ मुझे गोर्की पसंद नहीं है; वह एक कम्युनिस्ट है, और कम्युनिस्टों से मुझे घृणा है। जब मैं घृणा करता हूं तो बस घृणा ही करता हूं, लेकिन यह पुस्तक ‘दि मदर’--भले ही गोर्की द्वारा लिखी गई हो, मुझे यह पसंद है। अपनी पूरी जिंदगी मैंने इसे पसंद किया है। इस पुस्तक की इतनी प्रतियां मेरे पास थीं कि मेरे पिता कहा करते थे: ‘‘क्या तुम पागल हो। पुस्तक की एक प्रति काफी है, और तुम हो कि लगातार मंगवाते ही चले जाते हो! बार-बार मैं देखता हूं कि पार्सल में और कुछ भी नहीं बल्कि मैक्सिम गोर्की की ‘दि मदर’ की ही एक और प्रति है। तुम पागल हो या क्या हो?’’
मैंने उनसे कहा: ‘‘हां, जहां तक गोर्की की ‘दि मदर’ का संबंध है, मैं पागल हूं, बिलकुल पागल।’’
जब मैं अपनी मां को देखता हूं तो मुझे गोर्की की याद आती है। गोर्की को पूरी दुनिया का सर्वश्रेष्ठ कलाकार के रूप में गिना जाना चाहिए। विशेषकर ‘दि मदर’ में उसने लेखन-कला का उच्चतम शिखर छू लिया है। न ही उसके पहले और न ही उसके बाद... वह बस हिमालय के शिखर की तरह है। ‘दि मदर’ का अध्ययन किया जाना चाहिए, और बार-बार अध्ययन किया जाना चाहिए; तभी वह धीरे-धीरे तुम्हारे भीतर प्रकाशित होती है। फिर धीरे-धीरे तुम उसे महसूस करने लगते हो। हां, यही शब्द है: महसूस करना--सोचना नहीं, पढ़ना नहीं, बल्कि महसूस करना। तुम उसे स्पर्श करने लगते हो, वह तुम्हें स्पर्श करने लगती है। वह जीवंत हो उठती है। तब वह एक पुस्तक नहीं रह जाती, बल्कि एक व्यक्तित्व...एक व्यक्ति।

सातवीं है एक और रूसी, तुर्गनेव, और उसकी पुस्तक ‘फादर्स एंड संस’--‘पिता और पुत्र।’ यह मेरी सबसे प्रिय पुस्तकों में से एक है। मुझे कई पुस्तकें प्रिय रही हैं, हजारों पुस्तकें, लेकिन तुर्गनेव की ‘फादर्स एंड संस’ के मुकाबले कोई नहीं। मैं इसे पढ़ने के लिए बेचारे अपने पिता पर जोर डालता था। वे अब नहीं रहे; वरना मैं उनसे क्षमा मांग लेता। पुस्तक पढ़ने के लिए मैं क्यों उन पर जोर डालता था? उनके खुद के और मेरे बीच के फासले को समझने का उनके पास यही एक रास्ता था। लेकिन वे वास्तव में एक कमाल के आदमी थे; वे पुस्तक को बार-बार पढ़ते थे, सिर्फ इसलिए कि मैंने कहा था। ऐसा नहीं कि उन्होंने इसे एक बार पढ़ा, लेकिन कई बार पढ़ा। और न केवल उन्होंने पुस्तक को पढ़ा, बल्कि उनके और मेरे बीच के फासले को भी मिटा दिया। अब हम दोनों पिता और पुत्र नहीं रह गए थे। पिता और पुत्र के कुरूप रिश्ते, मां और बेटी के, और इसी तरह के... मेरे पिता ने कम से कम मेरे साथ यह फासला गिरा दिया था, हम दोनों मित्र बन गए थे। मित्र होना मुश्किल है अपने ही पिता के साथ, या अपने खुद के पुत्र के साथ; इसका सारा श्रेय उनको जाता है, मुझे नहीं।
तुर्गनेव की पुस्तक ‘फादर्स एंड संस’ सभी को पढ़नी चाहिए, क्योंकि हर कोई किसी न किसी तरह के रिश्तों में उलझा हुआ है--पिता और पुत्र, पति और पत्नी, भाई और बहिन, इतने कि चक्कर आ जाए। हां, इनसे चक्कर आने लगते हैं। मेरे शब्दकोष में ‘परिवार’ का पूरा धंधा ही ‘चक्कर आने’ का प्रतीक है। और हर कोई दिखा रहा है कि संबंध ‘‘कितने मधुर हैं...’’ हर कोई ब्रिटिश जेंटलमैन होने का दिखावा कर रहा है।

आठवीं: डी. एच. लारेंस। मैं हमेशा उसकी पुस्तक के बारे में बोलना चाहता था, लेकिन मुझे हमेशा डर लगा रहता था कि मेरा उच्चारण सही है या नहीं। कृपया इस पर हंसना मत। अपनी सारी जिंदगी मैंने इसे ‘‘दि फोनिक्स’’ कहा है, क्योंकि इसकी स्पेलिंग ही ऐसी है। आज सुबह ही मैंने गुड़िया से पूछा, ‘‘मुझे ठीक करो, गड़िया’’--जो कि मुश्किल है! ‘‘इस शब्द का उच्चारण क्या है?’’
उसने कहा: ‘‘फीनिक्स!’’
मैंने कहा: ‘‘हे भगवान! फीनिक्स? और सारी जिंदगी मैं इसे व्यर्थ ही फोनिक्स कहता रहा...!’’ यह मेरी आठवीं पुस्तक है: ‘‘दि फीनिक्स।’’ ठीक है, मैं अपना उच्चारण ठीक कर लूंगा, जिससे कि वह कम से कम अंग्रेजी जैसा मालूम पड़े।
‘दि फीनिक्स।’ यह एक अदभुत पुस्तक है, ऐसी जो कभी-कभार ही लिखी जाती है... दशकों में कभी, या यहां तक कि सदियों में।

नौवीं: डी. एच. लारेंस द्वारा लिखित एक और पुस्तक। ‘दि फीनिक्स’ बहुत बढ़िया है, सुंदर है, लेकिन मेरा अंतिम चुनाव नहीं है। मेरा अंतिम चुनाव है उसकी ‘साइकोएनालिसिस एंड दि अनकांशस,’ इसे कभी-कभार ही कोई पढ़ता है। अब, कौन इस पुस्तक को पढ़ेगा? जो लोग उपन्यास पढ़ते हैं वे इसे पढ़ेंगे नहीं, और जो लोग मनोविज्ञान पढ़ते हैं उन्होंने इसे पढ़ा नहीं होगा, क्योंकि वे लारेंस को मनोवैज्ञानिक नहीं मानते। लेकिन मैंने इसे पढ़ा है। मैं न तो उपन्यासकारों का प्रशंसक हूं, न ही मनोविश्लेषकों के पीछे पागल हूं। मैं दोनों से मुक्त हूं। मैं पूरी तरह से मुक्त हूं। यह मेरी प्रिय पुस्तक है।
मेरी आंखें ओस की बूंदें इकट्ठा करने लगी हैं। कृपया बीच में बाधा मत डालो।
‘साइकोएनालिसिस एंड दि अनकांशस’ मेरी सबसे प्रिय और मनपसंद पुस्तकों में से एक रही है और रहेगी। हालांकि अब मैं पढ़ता नहीं हूं, यदि फिर से मुझे पढ़ना हो तो यह पहली किताब होगी जिसे मैं पढूंगा। न वेद, न बाइबिल, लेकिन ‘साइकोएनालिसिस एंड दि अनकांशस’... और तुम्हें पता है, यह पुस्तक मनोविश्लेषण के खिलाफ है।
डी. एच. लारेंस सचमुच एक क्रांतिकारी व्यक्ति था, एक विद्रोही। सिग्मंड फ्रायड की तुलना में वह कहीं अधिक क्रांतिकारी था। सिग्मंड फ्रायड मध्यम दर्जे का है। उसके बारे में इससे ज्यादा नहीं कहूंगा, इसलिए प्रतीक्षा मत करो। ‘मध्यम दर्जे’ का कह कर मैंने कह दिया कि सब-कुछ साधारण है। मध्यम दर्जे का यही अर्थ है: एकदम मध्य में। सिग्मंड फ्रायड सही अर्थों में विद्रोही नहीं है; लारेंस है।
अच्छा। मेरे और मेरे आंसुओं के बारे में चिंता न करो। कभी-कभार आंसुओं का आना अच्छा है, और काफी लंबे समय से मैं रोया भी नहीं हूं।

दसवीं: अर्नाल्ड की ‘लाइट ऑफ एशिया।’
मुझे और दो पुस्तकों के बारे में चर्चा करनी है, और चाहे मैं मर ही क्यों जाऊं मैं अपनी चर्चा पूरी करूंगा।

ग्यारहवीं: मेरी ग्यारहवीं पुस्तक है ‘बीजक।’ बीजक में कबीर के गीतों का संग्रह है। बीजक का अर्थ है ‘बीज’--और निश्चित ही बीज सूक्ष्म है, बहुत सूक्ष्म, अदृश्य। जब तक कि वह अंकुरित होकर वृक्ष न बन जाए वह दिखाई नहीं पड़ता है।
बीच में हस्तक्षेप मत करो। सवाल यह है--क्या तुम इस कार्य को जारी रखना चाहते हो? मुझसे कभी मत पूछो, अपने आप से पूछो। यदि तुम जारी रखना नहीं चाहते हो, तो बस मुझे बता दो, कि बस बहुत हुआ। असल में दो घोड़ों पर सवारी करना बहुत मुश्किल है, और यही मैं कर रहा हूं। और तो और एक घोड़ी है और एक बिगड़ैल घोड़ा है। अब क्या किया जाए--दो अलग-अलग दिशाएं...

बारहवीं: इस परिस्थिति के कारण मैं हर्बर्ट मारक्यूस की पुस्तक ‘वन डाइमेन्शनल मैन’--‘एक आयामी मनुष्य’ चुन रहा हूं। मैं उसके विरोध में हूं, लेकिन उसने एक सुंदर पुस्तक लिखी है। मैं उसके विरोध में हूं, क्योंकि मैं जानता हूं कि एक आदमी केवल तभी आनंदित हो सकता है जब वह बहुआयामी हो, जब वह सभी संभव आयामों में फैला हुआ हो, एक आयाम में सिकुड़ा हुआ नहीं। ‘वन डाइमेन्शनल मैन’ आधुनिक मनुष्य की कहानी है; यह मेरा बारहवां चुनाव है।

तेरहवीं पुस्तक है: चीन की रहस्यमय पुस्तक  ‘आइ चिंग।’

चौदहवीं, और अंतिम। यह पुस्तक एक हिंदी उपन्यास है जिसका अभी तक अंग्रेजी में अनुवाद नहीं हुआ है। अजीब बात है मुझ जैसे आदमी के द्वारा इसका उल्लेख किया जा रहा है, लेकिन यह उल्लेख के लायक है। हिंदी शीर्षक है ‘नदी के द्वीप,’ जिसका कि अनुवाद होगा ‘आइलैंड्स ऑफ ए रिवर,’ और यह सच्चिदानंद वात्स्यायन द्वारा लिखा गया था। यह उपन्यास उन लोगों के लिए है जो ध्यान करना चाहते हैं; यह ध्यानियों का उपन्यास है। इस उपन्यास की तुलना किसी अन्य से नहीं कर सकते हैं--न टाल्सटाय और न चेखव से। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इसे हिंदी में लिखा गया है।
थोड़ी प्रतीक्षा करो। यह इतना सुंदर है कि कुछ भी कहने के बजाय मैं इसका आनंद लेना चाहता हूं। इस ऊंचाई पर बात करना कितना मुश्किल है। कृपया कोई रुकावट मत डालो...

आज इतना ही

2 टिप्‍पणियां:

  1. (1)मैक्सिम गोर्की की ‘दि मदर। (2)तुर्गनेव की पुस्तक ‘फादर्स एंड संस’|(3)‘नदी के द्वीप,-सच्चिदानंद वात्स्यायन सच में यह श्रेष्ठीओ ने अध्ययन की उत्सुकता को चरम पर ला दी हैं|

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