हरा सके जो चुनाव में, विजय तभी तू जान।
भूखे रहकर चार दिन, मचा दिया घमासान।।
नेता की फुफकार से जल रही थी घास।
तेवर नेता के देख क्या लोक, क्या पाल।
ताल ठो कर कह रहे, दो सच्चों का साथ।
पर जनता ने पूछ ली इस सीधी सच्ची बात।
सुनील कुमार के अखाड़े में करोगे दो दो हाथ।
मोहम्मद अली के मुक्कों की झेलोगे बरसात।
क्या जानते हो बलड़ेम पड़ेगी इक ही लात।
कपिल देव की बाल पर बैट रहे का हाथ ।
दौड़ सकोगे उड़न सिख कि परछाई के साथ।
क्यों न बैठे अन्ना संग भूख हडताल में साथ।
खड़े को चौक में अब कर रहे हो बकवास।
लाख जतन तुम कर सको बनेगी अब न बात।
नेता जी तो खिसिया लिए, लगे तब बगले झांक।
पूछ दबा ली बगल में, किया कुत्ते को भी मात ।।
स्वामी आनंद प्रसाद ‘’मनसा’’
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