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गुरुवार, 10 मई 2018

मा सीता के गीत-03


03-जिनको कभी जाना न था

कैसे थे ये क्षण अनोखे, स्वास्थ सौंदर्य से भरे
ह्रदय में जब थी न हलचल, फिर भी पुलकितताझरे

जीने की जो जिद थी अपनी, जाने कहां वह खो गई
देखते ही देखते, मैं देखती ही रह गई।
आंखें थी फिर भी सब कुछ धुंधला सा दिख रहा था

प्राची से जब सूर्य निकला, दिख गया निकटतम परे
जिनको कभी जाना न था, वे मिल गए अपने ही आत्मन्
डूब जाती हूं खुशी में नाच उठता मेरा तन-मन



( जनवरी 1974 माऊंट आबू-शिविर)

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