गुलाब तो गुलाब है, गुलाब है-
A Rose is A Rose is A Rose-(हिंदी अनुवाद)
अध्याय-08
दिनांक-05 जुलाई 1976 अपराह्न चुआंग त्ज़ु सभागार में
आनंद का अर्थ है आनंद और दिव्यो का अर्थ है दिव्य - दिव्य आनंद। और उसे याद रखना होगा। मैं तुम्हें नाम देता हूं ताकि यह अनजाने में स्मरण की एक अंतर्धारा बन जाए - कि जहां भी आनंद है, वहां परमात्मा है।
आनंद परमात्मा तत्व की अभिव्यक्ति है। इसलिए यदि आप अधिक ईश्वर-पूर्ण बनना चाहते हैं तो अधिक आनंदित बनें। जब भी कोई व्यक्ति खुश होता है तो वह भगवान के करीब होता है। जब भी वह दुखी होता है तो बहुत दूर हो जाता है। वास्तव में अप्रसन्नता केवल एक संकेतक है कि आप रास्ता भटक रहे हैं, कि आप भटक रहे हैं; कि किसी तरह आप अपने प्राकृतिक तत्व को खो रहे हैं, कि आप प्रकृति के साथ तालमेल से बाहर हो रहे हैं, इसलिए दुःख है। जब भी आप खुश महसूस करते हैं तो इसका सीधा सा मतलब है कि आप सद्भाव में, मूल सद्भाव में गिर गए हैं।