आज सूर्योदय इतना सुंदर है कि एक क्षण के लिए मुझे हिमालय के सूर्योदय के अनुपम सौंदर्य की याद आ गई। वहां जब बर्फ तुमको चारों और से घेरे होती है। और वृक्षाो पर जब मानो बर्फ के सफेद फूल खिल जाते है और वे नई-नवेली दुलहनों की तरह सज जाते है, तो इस संसार के प्रधानमंत्रियों, राष्ट्रपतियों, राजा ओं और रानियों का अस्तित्व केवल ताश के पत्तों में ही रह जाएगा क्योंकि उनका स्थान वहीं पर है। और राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ताश के ‘जोकर’ बन जाएंगे। इससे ज्यादा उनकी कीमत नहीं है।
वे पर्वतीय वृक्ष के सफेद फूलों के साथ.....और जब भी मैने उनकी पत्तियों से बर्फ को गिरते हुए देखा है मुझे अपने बचपन के एक पेड़ की याद आ गई है। वैसा पेड़ भारत में ही हो सकता है। उसका नाम है ‘मधु मालती’ मधु अर्थ ात मीठा और मालती का अर्थ तुम्हें मालूम हैं कि मुझे सुगंध से एलर्जी है। इसलिए मुझे पता चलता है। मैं सुगंध के प्रति बहुत संवेदनशील हूं।
मुझे हिमालय बहुत प्रिय है। मैं वह ीं मरना चाहता था। वह मरने के लिए अत्यंत सुंदर जगह है—निश्चित ही जीने के लिए भी। किंतु मरने के लिए यह अत्यंत उपयुक्त स्थान है। यहीं पर तो लाओत्से मरा था। बुद्ध, जीसस, मोजेज—ये सब लोग हिमालय की गोद में ही मरे थे। को ई और पर्वत मोजेज, जीसस, लाओत्से, बुद्ध, बोधिधर्म, मिलोरपा, मापा, तिलोपा और नरोपा जैसे हजारों लोगों को अंतिम आश्रय देने का दावा नहीं कर सकता है।
मैं वहीं पर मरना चाहता था। और आज सुबह जब मैं सूर्योदय देख रहा था तो मुझे यह सोच कर बहुत राहत महसूस हुई कि अगर मैं यहां पर मर जाऊँ तो यह भी ठीक है, खास कर आज जैसे सुंदर दिन । और मैं मरने के लिए ऐसा दिन चुनूंगा जब मुझे महसूस होगा कि मैं हिमालय का हिस्सा बन गया हूं। मृत्यु मेरे लिए एक अंत या पूर्ण विराम नहीं है। नहीं, मृत्यु मेरे लिए एक उत्सव है।
मैरा जन्म स्थान, कुच वाड़ा, एक ऐसा गांव था जहां कोई पोस्ट आफिस नहीं था, कोई रेलवे लाइन नहीं थी। वहां पर छोटी-छोटी पहाडियाँ थी या टीले थे और सुंदर झील थी और फूस की कुछ झोपड़ियों थी। ईंटों से बना पक्का मकान एक ही था जहां मेरी जन्म हुआ। और वह भी कोर्इ बहुत बड़ा मकान नहीं था। एक छोटा से मकान था।
अभी मैं उसे देख सकता हूं और पूरा ब्योरा दे सकता हूं। लेकिन उस मकान और गांव से ज्यादा मुझे वहां के लोग याद है। मैं लाखों लोगों से मिला हूं किंतु उस गांव जैसे सरल लोग और कहीं नहीं है। क्योंकि वे ग्रामीण लोग थे। उनको दुनिया के बारे में कुछ भी पता नहीं था। उस गांव में एक भी अख़बार कभी नहीं आया। अंब तुम समझ सकते हो कि वहां कोई स्कूल क्यों नहीं था, प्राइमरी स्कूल तक नहीं था। क्या सौभाग्य था। आज के किसी बच्चे को यह सौभाग्य नहीं मिल सकता।
उन वर्षो में मैं अशिक्षित ही रहा और बहुत सुंदर समय था।
मैं अभी भी उस छोटे से गांव को देख सकता हूं—तालाब के पास थोड़ी सी झोपड़ियों और कुछ ऊंचे-ऊंचे पेड़ जिनके नीचे मैं खेलता था। गांव में कोई स्कूल नहीं था। यह बात बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि लगभग नौ साल तक मैं बिलकुल पढ़ा लिखा नहीं था। यह समय( व्यक्ति के निर्माण के लिए) बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। ।फिर तुम कोशिश भी करों तो शिक्षित नहीं हो सकते। तो एक प्रकार से मैं अभी भी अशिक्षित हूं, यद्यपि डि़ग्रियां मेरे पास बहुत है। कोई भी अशिक्षित व्यक्ति यह कर सकता था। और साधारण डिग्री नहीं, एम. ए. की प्रथम श्रेणी की डिग्री—वह भी कोई भी बेवकूफ प्राप्त कर सकता है। इसका कोई महत्व नहीं है, क्योंकि प्रतिवर्ष हजारों बेवकूफ इसे प्राप्त करते है। महत्वपूर्ण केवल यह है कि अपने आरंभिक वर्षो में मुझे कोई शिक्षा नहीं मिली। बाद में उस गांव से दूर जाकर भी मैं उसी दुनियां में रहा—अशिक्षित।
उस गांव के पास एक पुराना तालाब था, बहुत पुराना , और उसके चारों और बहुत पुराने वृक्ष लगे हुए थे—शायद सैकड़ों वर्ष पुराने—और चारों और बड़ी सुंदर चट्टानें थीं। और निश्चित ही मेंढ़क कूदते थे। दिन-रात छपाक की आवाज तुम बार-बार सुन सकते थे। मेढकों के कूदने की आवाज वहां की नीरवता को और बढ़ा देती थी, और अघिक अर्थपूर्ण कर देती थी। बाशो की यही विशेषता है: बिना वर्णन किए बहुत कुछ वर्णन कर सकता था। ‘छपाक’..... तालाब में मेढक कूदने की आवाज का वर्णन कोई भी शब्द नहीं कर सकता, परंतु ‘बाशो’ ने कर दिखाया।
उस गांव को बाशो की जरूरत थी। शायद उसने सुंदर चित्र बनाए होते, सुंदर हाइकू लिखे होते....। उस गांव के लिए मैने कुछ भी नहीं किया। तुम पुछोगे कि क्यों, मैं वहां दुबारा गया ही नहीं। एक बार काफी है। मैं किसी भी जगह दुबारा नहीं जाता। मेरे लिए नंबर दो है ही नहीं। मैने बहुत से गांव और बहुत से शहर छोड़े है, फिर वापस कभी नहीं। तो उस गांव में वापस नहीं गया। गांव वालों ने कई बार संदेश भेजे कि एक बार आओ। किंतु मैने संदेश लाने बालों के द्वारा यही उत्तर उन्हें भेजा कि मैं एक बार वहां रह चुका हुं दुबारा मैं कहीं जाता नहीं।
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