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बुधवार, 7 अक्टूबर 2009

नमस्काकर का अदभुत ढ़ंग—

इस देश ने नमस्‍कार का एक अद्भुत ढंग निकाल।‍
दुनिया मैं वैसा कहीं भी नहीं है।
इसे देश ने कुछ दान दिया है मनुष्‍य की चेतना को, अपूर्व।
यह देश केला है जब दो व्‍यक्ति नमस्‍कार करते है,
तो दो काम करते है।
एक तो दोनों हाथ जोड़ते है।
दो हाथ जोड़ने का मतलब होता है: दो नहीं एक।
दो हाथ दुई के प्रतीक है, द्वैत के प्रतीक है।
उन दोनों को हाथ जोड़ने का मतलब होता है, दो नहीं एक है।
उस एक का ही स्‍मरण दिलाने के लिए
दोनों हाथों को जोड़ कर नमस्‍कार करते है।
और, दोनों को जोड़ कर जो शब्‍द उपयोग करते है।
वह परमात्‍मा का स्‍मरण होता है।
कहते है: राम-राम, जयराम, या कुछ भी,
लेकिन वह परमात्‍मा का नाम होता है।
दो को जोड़ा कि परमात्‍मा का नाम उठा।
दुई गई कि परमात्‍मा आया।
दो हाथ जुड़े और एक हुए कि फिर बचा क्‍या: हे राम।
 --ओशो

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