राष्ट्रीयता छोड़ दे और कहे की हम अंतर्राष्ट्रीय भूमि है।
भारत को तो संयुक्त राष्ट्र संघ की भूमि बन जाना चाहिए।
कह देना चाहिए, यह पहला राष्ट्र है,
जो हम संयुक्त राष्ट्र संघ को सौंपते है—सम्हालो।
कोई तो शुरूआत करे----। और यह शुरूआत हो जाए
तो युद्ध ों की कोई जरूरत नहीं है, ये युद्ध जारी रहेगें
जब तक सीमाएं रहेंगी। ये सीमाएं जानी चाहिए।
तो ठीक ही कहते हो, कह सकते हो मुझे देश-द्रोही—
इन अर्थ ों में कि मैं मानव -द्रोही नहीं हूं।
लेकिन तुम्हारे सब देश -प्रेम ी मानव-द्रोही है।
देश-प्रेम का अर्थ होता है मानव-द्रोह।
देश-प्रेम का अर्थ होता खड़ों में बांटो।
तुमने देखा न जो आदमी प्रदेश को प्रेम करता है।
वह देश का दुश्मन हो जाता है,
और जो जिले को प्रेम करता है।
और जो जिले को प्रेम करता है,
वह प्रदेश का भी दुश्मन हो जाता है।
मैं दुश्मन
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