1. मनुष्य संध्या समय क्यों शराब पीना चाहता है?
ये प्रश्न मेरे अंतस से उठी एक जिज्ञासा अभीप्सा है। और में प्रत्येक मित्र से चाहता हूं, इसका उत्तर दे। क्योंकि इसका उत्तर जीवन में है, जीने की कला में है, न की किताबों में......बिना झिझक, प्रयास रहित, चाहे वो शराब पिता हो या नहीं ये बात मायने नहीं रखती। शराब तो मैंने भी कभी नहीं पी परन्तु प्रश्न ने तो मुझे घेर लिया...याद रखे हम सब का उत्तर ही मिल एक उत्तर होगा......
स्वामी आनंद प्रसाद
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जवाब देंहटाएंसंध्या के समय मनुष्य गहन निराशा में होता है। इस निराशा को न तो वह समझ पाता है और न ही उसके पास इसे दूर करने का कोई उपाय होता है। ऐसे में जो कमजोर हैं और परिस्थिति जिनके लिए शराब को सहज बनाती है वह शराब में डूब जाते हैं।
जवाब देंहटाएंसंध्या के समय मनुष्य गहन निराशा में होता है। इस निराशा को न तो वह समझ पाता है और न ही उसके पास इसे दूर करने का कोई उपाय होता है। ऐसे में जो कमजोर हैं और परिस्थिति जिनके लिए शराब को सहज बनाती है वह शराब में डूब जाते हैं।
जवाब देंहटाएंसंध्या के समय मनुष्य गहन निराशा में होता है। इस निराशा को न तो वह समझ पाता है और न ही उसके पास इसे दूर करने का कोई उपाय होता है। ऐसे में जो कमजोर हैं और परिस्थिति जिनके लिए शराब को सहज बनाती है वह शराब में डूब जाते हैं।
जवाब देंहटाएंसंध्या के समय व्यक्ति शराब पीने के कई कारण हो सकते है ...अलग अलग व्यक्ति पर निर्भर होता है
जवाब देंहटाएंकुछ लोग दिन में भी पीते है लेकिन वो समाज में खासतोर से भारतीय समाज में हेय दृष्टि से देखे जाते है ...इसलिए समाज से जुडा हुआ व्यक्ति संध्या के समय ही शराब पीना उचित मानता है क्योंकि उसके बाद वो जन संपर्क में कम आता है ..और शराब पीने के बाद उसको उसको आजीविका के लिए भी कुछ नहीं करना होता ...क्योंकि वो काम वो दिन में कर चूका होता है .....वैसे भी देखा जाए तो हर व्यक्ति अपने अवचेतन में शराब पीने को बुरा काम मानता है ..शराब पीना बुरा है भी व्यक्ति जो शराब पीते है बिना शराब के उनमे उत्साह नहीं दिखाई देता वो जीवन ऐसे जीते है जैसे जबरदस्ती जी रहे हो केवल शराब ही उनको उर्जा देती है ....
रात के समय सारे गलत और छुप कर करने वाले काम होते है ..जैसे शराब पीना , चोरी करना , सम्भोग करना ...रात का समय निशाचरो का है .....