जैसे विज्ञान पदार्थ के भीतर  
छिपे हुए सत्य को  खोज ता है।
जैसे विज्ञान पदार्थ को तोड़ता है,
अणु-अणु को तोड़ता है और  उसके भीतर
छिपी हुई ऊर्जा  का पता  लगाता है,
किस नियम के आधार  पर पदार्थ चल  रहा है।
इसका अन्वेषण करता है।
वैसे ही उपनिषद चेतन ा
अणु-अणु में  प्रवेश  करते है।
और चैतन्य का क्या नियम है,
और चैतन्य कैसे  जगत  में गतिमान  है,
कैसे स्थिर  है, कैसे छिपा  है,
कैसे प्रकट  है, इसकी खोज करते है।
 

 
 
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