जो सत्य को  खोजने निकलते है,
वे लंबी यात्रा  पर निकले है।
उनकी यात्रा ऐसी है, जैसे   कोई अपने हाथ  को
सिर के पीछे   से घुमा कर  कान  पकड़े।
जो सौंदर्य को  खोजते है, उन्हें सीधा-सीधा मिल जाता है।
क्योंकि सौंदर्य अभी मौजूद है-
इन हरे वृक्षों में, पक्षियों की चहचहाहट में,
इस को यल
सत्य को तो खोजना  पड़े।
और सत्य तो कुछ  बौद्धिक बात मालूम होती है, हार्दिक नहीं।
सत्य का  

 
 
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