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रविवार, 20 सितंबर 2009

सिरदर्द को देखना—( ध्यान )


अब जब भी आपको सिरदर्द हो तो एक छोटी सी ध्यान की विधि का प्रयोग करें—सिर्फ प्रयोगात्मपक रूप से—बाद में आप बड़ी बीमारियों में और लक्षणों में भी प्रयोग कर सकते है।
जब भी आपको सिरदर्द हो, एक छोटा सा प्रयोग करें। शांत बैठ जाएं और उसे देखें, अच्छी तरह से देखें—दुश्मिन की तरह नहीं। यदि आप उसे अपने दुश्मणन की तरह देखेंगे, तो अच्छे से नहीं देख पाएंगे। आप देखने से बचेंगे। कौन अपने दुश्मन को देखना चाहता है? हर कोई बचता है। शांत बैठ जाएं और सि‍रदर्द को देखें—बिना किसी भाव के कि वह रूक जाए, बिना किसी इच्छा के, कोई संघर्ष नहीं, कोई लड़ाई नहीं, कोई प्रतिरोध नहीं। शांति से देखते रहें, ताकि यदि वह आपको कुछ कहना चाहे तो कह सके। उसमें कोई सांकेतिक संदेश है। अगर आप शांति से देखते रहे तो चकित हो जाएंगे। पहली बात—जितना ज्या दा आप देखोगे, उतना ज्यादा वह तेज होगा। और आप थोड़े उलझन में पड़ेंगे—यदि सिरदर्द तेज हो रहा है तो यह विधि कैसे मदद करेगी। यह तेज हो रहा है, क्योंकि पहले आप उसे टाल रहे थे। सि‍रदर्द तो उतना ही था, लेकिन आप उसे टाल रहे थे, दबा रहे थे—एस्प्रोस के बिना भी उसे दबा रहे थे। जब आप उसे देखते है तो दमन हट जाता है। और सि‍रदर्द अपनी सहज तीव्रता में प्रकट होता है। अब आप उसे खुले कानों से रूई ड़ाले बिना सुन रहे है। पहली बात: वह तेज हो जाएगा। यदि वह तेज हो रहा है तो आप संतुष्टब हो सकते है कि आप ठीक से देख रहे है। यदि तेज नहीं हो रहा है तो अभी आप देख नहीं रहे है; अभी आप टाल रहे है। दूसरी बात—वह एक बिंदु पर सिमट आएगा; वह बड़ी जगह पर फैला हुआ नहीं रहेगा। पहले आपको लगता था कि मेरा पूरा सिर दुःख रहा है। अब आप देखेंगे कि पूरा सिर नहीं, केवल थोड़ी सी जगह पर दर्द है। यह भी एक संकेत है कि आप और भी गहराई से उसे देख रहे है। दर्द कि फैली हुई अनुभूति एक चालाकी है—यह भी उसे टालने का एक ढ़ंग रहा है। दर्द यदि एक ही बिंदु पर हो तो वह और भी तीव्र होगा। तो हम एक भ्रम पैदा करते है कि पूरा सर ही दुःख रहा है। उसे देखें—और वह छोटी से छोटी जगह में सिमटता जाएगा। और एक क्षण आएगा जब वह सुई की नोक जितनी जगह पर सिमट आएगा—अत्यंत घनीभूत, अत्य धिक पैना, बहुत तेज। आपने ऐसा सिरदर्द कभी नहीं जाना होगा। लेकिन बहुत ही छोटी जगह पर सीमित। उसे देखते रहें।
और फिर तीसरी और सबसे महत्वेपूर्ण घटना घटेगी। यदि आप तब भी देखते ही रहे जब दर्द बहुत तीव्र और सीमित और एक ही बिंदु पर केंद्रित है, तो आप कई बार देखेंगे कि वह खो गया है। जब आपका देखना पूर्ण होगा तो वह खो जाएगा। ओ जब वह खो जाएगा तब उसकी झलक मिलेगी कि वह कहां से आ रहा है—क्याए कारण है। जब प्रभाव खो जाएगा तो आप कारण को देख सकेंगे। ऐसा कई बार होगा फिर सिरदर्द वापस आ जाएगा। जब भी आपकी दृष्टि समग्र होगी, वह खो जाएगा। और जब वह खोता है तो उसके पीछे छिपा हुआ ही उसका कारण होता है। और आप हैरान हो जाएंगे—आपका मन कारण बताने के लिए तैयार है। और एक हजार एक कारण हो सकते है। सबसे वही अलार्म दि‍या जाता है, क्योंकि अलार्म देने कि प्रणाली सरल है। आपके शरीर में बहुत अलार्म नहीं है। अलग-अलग कारणों के लिए वही अलार्म, वही चेतावनी दी जाती है। हो सकता है हाल ही में आपको क्रोध आया हो और आपने उसे अभिव्यक्तव न किया हो। अचानक वह क्रोध प्रकट होगा। आप देखेंगे अपका सारा क्रोध जो आप मवाद की तरह भीतर ढ़ो रहे है। अब यह भारी हो गया है और यह क्रोध निकलना चाहता है। उसे रेचन की आवश्य़कता है। तो उसे निकाल दें, उसका रेचन कर दें। और तत्क्षाण आप देखेंगे कि सिरदर्द गायब हो गया है। और न एस्प्रोा की जरूरत है, न किसी चिकित्सार की।

ओशो—( आरेंज बुक )

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