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शुक्रवार, 18 सितंबर 2009

शब्दों के बिना देखना—( ध्यान)


छोटी-छोटी चीजों में प्रयोग करें मन बीच में न आए। आप एक फूल को देखते हैं—तब आप सिर्फ देखें। मत कहें ‘सुदंर’, ‘असुंदर’। कुछ मत कहें, शब्दों को बीच में मत लाएं, कोई उपयोग न करें। सिर्फ देखें। मन बड़ा व्यामकुल, बड़ा बेचैन हो जाएगा। मन चाहेगा कुछ कहना। आप मन को कह दें, शांत रहो, मुझे देखने दो, मैं सिर्फ देखूँगा। शुरूआत में कठिनाई आएगी, लेकिन ऐसी चीजों से शुरू करें जिनसे आप ज्या दा जुड़े नहीं है। बिना शब्दों को बीच में लाए पत्नी को देखना कठिन होगा। आप पत्नीं से बहुत जुड़े हुए है। बहुत ही भावनात्मईक रूप से जुड़े हुए हैं। क्रोध में या प्रेम में—लेकिन आप बहुत जुड़े हुए है।
तो ऐसी चीजों को देखें जो तटस्‍‍थ हैं—चट्टान, फूल, वृक्ष, सूर्योदय, उड़ता हुआ पक्षी, आकाश में घूमता हुआ बादल। सिर्फ ऐसीख चीजों को देखें जिनसे आप ज्याचदा जुड़े हुए नहीं हैं, जिनके प्रति आप अनासक्त् रह सकें, जिनके प्रति आप तटस्थट रह सकें। तटस्थ चीजों से शुरू करें और फिर भावुक स्थितियों की और बढ़े।
ओशो—( आरेंज बुक)

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