कुल पेज दृश्य
गुरुवार, 24 सितंबर 2009
आनंद से जीओ--
मेरा संदेश छोटा सा है, आनंद से जीओ।
और जीवन के समस्त रंग को जीओ,
सार े स्वरों को जाओ।
कुछ भी निषेध नहीं कर ना है।
जो भी परमात्मा का है, शुभ है।
जो भी उसने दिया है, अर्थपूर्ण है।
उसमें से किसी भी चीज का इनकार करना ,
परमात्मा को ही इनकार करना है, नास्तिकता है।
और तब एक अपूर्व क्रांति घटती है। जब तुम सबको स्वीकार कर लेते है।
और आनंद से जीने लगते है,
तुम्हारे भीतर रूपांतरण की प्रक्रिया शुरू होती है।
तुम्हारे भीतर की रसायन बदलती है—क्रोध करूणा बन जाता है।
काम राम बन जाता है।
तुम्हारे भीतर का ंटे फूलों कि तरह खिलने लगते
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
style jaroori hai
जवाब देंहटाएंcalories aur socalled parmatama ke saath.
जवाब देंहटाएंयह भी खूब रही
जवाब देंहटाएं